छत्तीसगढ़ नवाचार वाला राज्य बनकर उभर रहा है, यहां लोगों की जिंदगी केा बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास जारी है। इसी क्रम में कांेडागांव जिले के दूरस्थ इलाके के मजदूरों और गरीब परिवारों के लिए बैंक दीदी किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रही है, क्योंकि अब बैंक विहीन गांव के लेागों केा खाते में जमा रकम का पता लगाने से लेकर निकालने के लिए बैंकों के चक्कर लगान से छुटकारा मिला है।
छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित जिला है कोंडागांव। यहां का दूरस्थ वनांचल है फरसगांव विकासखंड। इस विकासखंड में कुल पांच बैंक शाखाएं है, ऐसे में उन लोगों बड़ी परेशानी का सामना करना हेाता था जिनके खातों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी योजना (मनरेगा) की मजदूरी अथवा अन्य योजनाओं की राशि सीधे खाते में पहुॅचती है।
बड़ी संख्या में इस इलाके के गांव बैंक विहीन हेाने और कई किलो मीटर की दूरी पर बैंक होने के कारण आमजन को रकम के आहरण के अलावा बैंक में जमा राशि का पता करने के लिए काफी समय की बर्बादी तो करना ही पड़ती है, साथ में मुश्किलें भी आती है।
कोंडागांव के जिलाधिकारी पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के सामने जब मनरेगा की मजदूरी के भुगतान केा लेकर बैंक संबंधी शिकायतें सामने आई तो उन्होंने मजदूरों को कार्यस्थल पर ही भुगतान के निर्देश दिए। इस पर जिला पंचायत सीईओ प्रेमप्रकाश शर्मा द्वारा फरसगांव विकासखण्ड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकासखण्ड अंतर्गत आने वाले 73 ग्राम पंचायतों में से 44 बैंक विहिन एवं दूरस्थ ग्रामों के 14098 एक्टिव जॉबकार्ड धारकों हेतु बिहान समूहों के माध्यम से 10 बैंक सखियों की नियुक्ति की।
बैंक सखियों को ग्रामीणों बैंक दीदी कहकर बुलाते है। इन बैंक सखियों द्वारा एफटीओ जारी होने के बाद ग्राम पंचायत में पहुॅचकर मजदूरी का भुगतान किया जाता है।
गांव वालों ने बताया कि बैंक दीदीयों के गांव आकर हमारे मनरेगा श्रमिक के रूप में किये गये कार्य का भुगतान होने से अब उन्हें बिना गांव से दूर जाये गांव में ही रोजगार एवं गांव में ही भुगतान होने से उनकी जिंदगी आसान हो गई है। पहले भुगतान की स्थिति का पता न चलने एवं बैंकों के दूर होने के उनका मनरेगा के प्रति रुझान कम था, अब स्थिति बदली है। अब बैंक दीदीयों के गांव तक आने से लोग खुद घरों से निकलकर मनरेगा कार्यों से जुड़कर रोजगार के साथ गांव के विकास में भी योगदान दे रहे हैं।
जनपद पंचायत की सीईओ सीमा ठाकुर ने बताया की बैंक सखियों द्वारा न केवल पैसों का लेनदेन किया जाता है अपितु ग्रामीणों को उनके अकाउन्ट के पैसों के संबंध में भी जानकारी दी जाती है। बीते पांच माह में इन 10 बैक सखियों द्वारा 6080 ट्रांजेक्शन के माध्यम से कुल एक करोड़ 31 लाख 34,975 रूपयों का वितरण किया है। बैंक सखी के लिए स्वसहायता समूहों की पढ़ी लिखी कम्प्यूटर साक्षर महिलाओं का चयन किया गया है। इससे इन महिलाओं को न सिर्फ रोजगार प्राप्त हुआ है बल्कि इसके साथ ही ग्रामीणों को नयी आस भी जागी है।
जिला पंचायत सीईओ प्रेम प्रकाश शर्मा ने बताया कि फरसगांव के सुदूर अंचलों में बसे गांव तक मोबाईल कनेक्टीविटी के अभाव में यहां कोर बैंकिंग सुविधा नहीं थी। जिला प्रशासन के प्रयास से मोबाइल कनेक्टिविटी बढ़ी और बैंक सखी के जरिए बैंक को लैपटॉप के साथ घर-घर तक पहुंचा गया है। जहां आधार बेस बायोमेट्रिक्स एवं एकाउन्ट ट्रान्जेक्शन के माध्यम से बैंकिंग सुविधाओं के मिलने लगी है। ग्रामीणों को एक उंगली के छाप पर उनकी मेहनत का फल प्राप्त हो रहा है जिससे अधिक से अधिक संख्या में लोग मनरेगा से जुड़ रहे।
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Source : IANS