मध्य प्रदेश के रीवा जिले में भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती से रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन के प्रयास जारी हैं। इसके साथ ही भ्रूण लिंग परीक्षण के दोषियों को सख्त सजा की पैरवी की जा रही है, यही कारण है कि सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल किए जाने का प्रस्ताव प्रशासन को भेजने पर सहमति बनी है।
पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट के तहत गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने कहा कि समिति के सदस्य नर्सिंग होम तथा अस्पतालों का निरीक्षण करके रिपोर्ट प्रस्तुत करें। एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप नसिर्ंग होम तथा सोनोग्राफी सेंटरों में व्यवस्थाएं न होने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए।
रीवा जिला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की सीमा पर है। इस बात का कई लोग लाभ उठाते हैं और प्रयागराज के कस्बों में सोनोग्राफी संेटर का संचालन कर रहे हैं। इसे लेकर कलेक्टर इलैयाराजा ने कहा कि जिले की सीमा पर स्थित कस्बे चाकघाट से कुछ आगे उत्तरप्रदेश राज्य की सीमा में कुछ सोनोग्राफी सेंटर संचालित हो रहे हैं। इनमें निरीक्षण की अनुमति के लिए प्रयागराज प्रशासन से संपर्क करें।
बैठक में कलेक्टर ने कहा कि लगातार प्रयासों तथा लोगों को जागरूक करने के कारण जिले के लिंगानुपात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्तमान में रीवा जिले का लिंगानुपात 954 प्रति हजार हो गया है। बैठक में भ्रूण लिंग परीक्षण के दोषियों की सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल करने संबंधी प्रस्ताव शासन को भेजने को मंजूरी दी गई।
उन्होंने आगे कहा कि भ्रूण लिंग परीक्षण की गुप्त रूप से सूचना देने वाले के लिए एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान मुखबिर पुरस्कार योजना में किया गया था। अब इस राशि को बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। इसमें भ्रूण लिंग परीक्षण की सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम तथा पहचान गुप्त रखी जाती है।
-आईएएनएस
एसएनपी/एसकेके
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS