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बाबरी मस्जिद शरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी- अरशद मदनी

जमीयत उलेमा ए हिन्द ने बुधवार को कहा कि बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा

Updated on: 09 Nov 2019, 07:17 AM

नई दिल्ली:

देश में मुसलमानों के प्रमुख संगठन जमीयत उलेमा ए हिन्द ने बुधवार को कहा कि बाबरी मस्जिद राम जन्म भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे माना जाएगा. उन्होंने सभी से फैसले का सम्मान करने की अपील की. जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने दिल्ली में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि मस्जिद को ले कर मुसलमानों का मामला पूरी तरह से ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़ कर नहीं कराया गया है.

अदालत के फैसले से पहले किसी तरह की मध्यस्थता की सम्भावना को खारिज करते हुए मदनी ने कहा कि बाबरी मस्जिद शरिया के मुताबिक एक मस्जिद है और कयामत तक मस्जिद रहेगी. किसी शख्स के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी विकल्प की उम्मीद में मस्जिद के दावे से पीछे हट जाए. उन्होंने सभी नागरिकों, खासकर, मुसलमानों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की.

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बता दें, इससे पहले अयोध्या मामले पर फैसले से पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वरिष्ठ प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. नकवी के आवास पर आयोजित इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त सचिव कृष्ण गोपाल और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व संगठन सचिव रामलाल सहित मुस्लिम पक्ष के प्रभावशाली लोग शामिल रहे.

मुस्लिम पक्ष की ओर से जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली और कुछ अन्य लोगों ने भी मौजूदगी दर्ज कराई. इस दौरान दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया गया कि 17 नवंबर से पहले आने वाले अयोध्या विवाद पर फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. नकवी ने बैठक में कहा कि विविधता में एकता हमारी सांस्कृतिक प्रतिबद्धता है और एकता की इस ताकत की रक्षा करना समाज के सभी वर्गों की सामूहिक जिम्मेदारी है.

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मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के महत्व पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, "अब जब हमने यह बैठक की है तो मुझे यकीन है कि राष्ट्र शांति और सद्भाव के साथ फैसले को स्वीकार करेगा." प्रमुख शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद ने सद्भाव बनाए रखने के लिए नकवी के प्रयासों की सराहना की और आश्वासन दिया कि विविधता में एकता के पाठ को मस्जिदों के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा.