बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरुवार को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलना चाहिए। इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मामला 25 साल से लंबित पड़ा है। अब ये दो साल में पूरा होना चाहिए। हम इस मामले में ट्रायल का जजमेंट नहीं सुना रहे सिर्फ कानूनी प्रक्रिया पर फैसला दे कहे हैं।'
सीबीआई ने कहा कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए।
23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर षड्यंत्र का मामला तय करने संबंधी सुनवाई को दो हफ्तों के लिये टाल दिया था। लेकिन इसके साथ ही कोर्ट ने यह निर्दश भी दिया था कि सभी पक्ष लिखित में अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करें।
ये भी पढ़ें:बाबरी विध्वंस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने आडवाणी, जोशी और उमा से मांगा लिखित जवाब
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 6 मार्च को अयोध्या मामले की सुनवाई में हो रही देरी पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने पूछा था कि क्यों न लखनऊ और रायबरेली की अलग अलग अदालतों में चल रहे मुकदमों का ट्रायल एक साथ किया जाये। सीबीआई ने भी कोर्ट के सुझाव का समर्थन किया था।
अगर कोर्ट दोनों बीजेपी के इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का मामला तय करती है तो इन नेताओं की मुश्किले बढ़ सकती हैं।
ये भी पढ़ें: रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी तय करेगी रेल किराया, कैबिनेट से मिली मंजूरी
इस वक्त विवादित ढांचा विध्वंस को लेकर को लेकर दो मुकदमे लखनऊ और रायबरेली की अदालतों में चल रहे हैं, लखनऊ का मुकदमा उन कारसेवको के खिलाफ हैं जिन्होंने विवादित ढांचे को गिराया था।
ये भी पढ़ें: दलाई लामा का अरुणाचल दौरा: भारत चीन में तनातनी बढ़ी, भारत को दी धमकी, कहा- उठाएगा 'जरूरी कदम'
Source : News Nation Bureau