logo-image

बाबरी विध्वंस मामला : अदालत ने बचाव पक्ष के रवैये पर जताई नाराजगी

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए बुधवार को कहा कि पूर्व में दो बार समय देने के बावजूद बचाव पक्ष ने अभी तक अपनी लिखित दलीलें पेश नहीं की हैं.

Updated on: 27 Aug 2020, 01:30 AM

लखनऊ:

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रही विशेष सीबीआई अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए बुधवार को कहा कि पूर्व में दो बार समय देने के बावजूद बचाव पक्ष ने अभी तक अपनी लिखित दलीलें पेश नहीं की हैं. अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि वह इस प्रकरण का जल्द निस्तारण नहीं चाहता. बचाव पक्ष के वकीलों ने विशेष न्यायाधीश एस. के, यादव से लिखित दलीलें पेश करने के लिए 31 अगस्त तक का समय मांगा.

ये भी पढ़ें- 20 साल की कोशिशों के बाद आयरलैंड में बना पहला मंदिर, हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक और गौरवान्वित क्षण

इस पर अदालत ने यह तल्ख टिप्पणी करते हुए उनकी इस अर्जी को नामंजूर कर दिया और बृहस्पतिवार तक दलीलें पेश करने को कहा. इससे पहले अदालत बचाव पक्ष को दलीलें पेश करने के लिए 21 अगस्त और 24 अगस्त को समय दे चुकी है. सीबीआई इस मामले में अपने 400 पन्नों की दलीलें पहले ही अदालत में पेश कर चुकी है. मालूम हो कि अदालत इस प्रकरण का निस्तारण सितंबर के अंत तक करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में कार्यवाही कर रही है.

ये भी पढ़ें- मनाली से लेह जाने के लिए अगले महीने खुल जाएगी 8.8 किमी लंबी सुरंग, यहां पढ़ें डीटेल्स

बचाव पक्ष के रवैये का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि मामले का फैसला लिखने के लिए बहुत बड़ी संख्या में दस्तावेजों का अध्ययन करना होगा और इसे लिखने में भी काफी वक्त लगेगा लेकिन जिस तरह से बचाव पक्ष बार-बार समय मांग रहा है उससे ऐसा लगता है कि वह कार्यवाही में विलंब चाहता है.

ये भी पढ़ें- Viral: जम्मू में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात, भारी-भरकम पुल टूटकर बहा

गौरतलब है कि विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्रियों मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती तथा पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समेत 32 आरोपियों के बयान दर्ज किए थे. इस वक्त यह मामला निपटारे की दहलीज पर है. इस समय यह दलील देने के चरण में है. इसके समाप्त होने के बाद अदालत मामले में निर्णय सुना देगी. क्योंकि यह काफी पुराना मामला है, इस वजह से इसका फैसला लिखने में भी खासा समय लगेगा.