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बाबा साहेब अंबेडकर एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं बल्कि समाज के मुक्तिदाता

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर आज देश भर में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। अपनी आवाम के लिए बाबा साहेब अंबेडकर महज एक राजनीतिक व्यक्तित्व ही नहीं बल्कि मुक्तिदाता हैं।

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर आज देश भर में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। अपनी आवाम के लिए बाबा साहेब अंबेडकर महज एक राजनीतिक व्यक्तित्व ही नहीं बल्कि मुक्तिदाता हैं।

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बाबा साहेब अंबेडकर एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं बल्कि समाज के मुक्तिदाता

बाबा साहेब अंबेडकर एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं बल्कि समाज के मुक्तिदाता

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर आज देश भर में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। अपनी आवाम के लिए बाबा साहेब अंबेडकर महज एक राजनीतिक व्यक्तित्व ही नहीं बल्कि मुक्तिदाता हैं।

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देश के सर्वोच्‍च सम्‍मान ‘भारत रत्‍न’ से सम्‍मानित, प्रसिद्ध भारतीय विधिवेत्‍ता, सामाजिक न्‍याय के प्रबल पक्षधर, ओजस्‍वी लेखक, यशस्‍वी वक्‍ता, बीसवीं शताब्‍दी के श्रेष्‍ठ चिंतक और देश के प्रथम विधि एवं न्‍याय मंत्री डॉक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर का जन्‍म 14 अप्रैल, 1891 को मध्‍य प्रदेश के मऊ में हुआ था।

दुनिया में कम ही उदाहरण ऐसे होंगे जब एक अकेला आदमी अपनी कोशिशों से इतनी बड़ी आबादी की तकदीर हमेशा के लिए बदलने में कामयाब हुआ। बचपन में असमानता का दंश झेलने वाले बाबा साहेब ने एक ऐसे समाज की परिकल्‍पना की थी, जहां सब समान हों, ऊंच-नीच का भेद से परे गरिमापूर्ण जीवन बिता सकें।

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उनका संदेश था –‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’। बाबा साहेब का मानना था कि अगर ये तीन गुण किसी मनुष्‍य में हैं, तो कोई भी बाधा उसकी राह का रोड़ा नहीं बन सकती।

अम्‍बेडकर राजनीतिक स्‍वतंत्रता के साथ सामाजिक स्‍वतंत्रता के भी प्रबल पक्षघर थे। उनका कहना था –‘जब तक आप सामाजिक स्‍वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते, तब तक कानून चाहे जो भी स्‍वतंत्रता देता हो, वह आपके किसी काम की नहीं है।'

वे दलित और पीड़ित वर्ग को समाज और विकास की मुख्‍यधारा से जोड़ने के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे, लेकिन समाज के अन्‍य वर्गों के प्रति भी उनका भाव हमेशा सकारात्‍मक रहा।

बाबा साहेब ने हिन्‍दुओं और मुसलमानों के बीच साम्‍प्रदायिक सद्भाव पर बल देते हुए कहा था कि ’साम्‍प्रदायिक मुद्दे कनाडा जैसे देशों में भी हमेशा रहे हैं, पर आज भी अंग्रेज और फ्रांसीसी प्रेमभाव से एक साथ रहते हैं, तो हिन्‍दू और मुसलमान एक साथ सौहार्दपूर्वक क्‍यों नहीं रह सकते?’

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अम्‍बेडकर ने भारतीय संविधान को आकार देने के लिए भले ही पश्‍चिमी मॉडल अपनाया हो, लेकिन उसकी मूल भावना विशुद्ध रूप से भारतीय भूमि से जुड़ी रही।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए भीम-आधार डिजिटल भुगतान मंच की शुरुआत करेंगे। भीम एप के व्यापारिक इंटरफेस भीम-आधार के जरिए आधार का इस्तेमाल कर डिजिटल भुगतान किया जा सकेगा। इससे हर भारतीय अपने बॉयोमेट्रिक डाटा का इस्तेमाल कर डिजिटल भुगतान कर सकेगा।

कोई भी भारतीय बिना स्मार्टफोन, इंटनेट, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के इस मंच के जरिए डिजिटल भुगतान करने में सक्षम होगा। यह बाबासाहेब अंबेडकर के सभी के लिए सामाजिक और वित्तीय सशक्तीकरण के दृष्टिकोण को साकार करेगा।

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Source : Vineet Kumar

डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर बाबा साहेब जयंती बाबा साहेब अंबेडकर अंबेडकर जयंती
      
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