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आयुष्यमान भारत योजना और राष्ट्रीय आरोग्य निधि के बीच फंसा गरीबों का जीवन

PM-JAY और RAN में उलझी शर्तों की वजह से दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही ऐसे दर्जनों मरीज़ हैं जिनमें कुछ की मौत हो चुकी है, कई मौत का इंतज़ार कर रहे हैं

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Ravindra Singh
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आयुष्यमान भारत योजना और राष्ट्रीय आरोग्य निधि के बीच फंसा गरीबों का जीवन

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना( Photo Credit : फाइल)

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आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एक गरीब परिवार को 5 लाख रूपये तक की मुफ्त इलाज की गारंटी देता है, लेकिन शर्तों में उलझी PM-JAY और RAN बीपीएल कार्ड धारकों, खासकर ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के मरीज़ों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. जिन बीपीएल कार्ड धारकों का नाम PM-JAY योजना में शामिल कर लिया गया है वो दूसरी किसी सरकारी हेल्थ स्कीम जैसे राष्ट्रीय आरोग्य निधि यानी RAN का फायदा नहीं उठा सकते, RAN के तहत पहले बीपीएल कार्ड धारकों को गंभीर बीमारियों की इलाज के लिए तय सीमा से भी ज़्यादा रक़म मिल जाती थी, लेकिन PM-JAY और RAN में उलझी शर्तों की वजह से दिल्ली के एम्स अस्पताल में ही ऐसे दर्जनों मरीज़ हैं जिनमें कुछ की मौत हो चुकी है, कई मौत का इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि इनके इलाज पर 5 लाख से ज़्यादा का खर्च होना है.

इस तस्वीर में अपनी मां के साथ बैठा पंकज अब इस दुनिया में नहीं है. पंकज को एनीमिया की गंभीर बीमारियों में से एक एप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी थी. पंकज के पास बीपील कार्ड भी था, उसका नाम PM-JAY योजना की लिस्ट में भी शामिल था, पंकज को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए डॉनर भी मिल चुका था, लेकिन एम्स उसका इलाज इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे. आपको बता दें कि पंकज के इलाज के लिए 12 लाख रूपये की ज़रूरत थी. पंकज के पिता दिल्ली में मज़दूरी का काम करते हैं, बेटे के इलाज के लिए उन्होंने ज़मीन भी बेच दी, लेकिन फिर भी बेटे को बचा नहीं सके. क्योंकि पंकज का नाम PM-JAY योजना में होने की वजह से उसे राष्ट्रीय आरोग्य निधि यानी RAN का फायदा नहीं मिल सका.

पंकज की मौत के बाद PM-JAY योजना के सीईओ डॉक्टर इंदू भूषण ने 24 जनवरी को ट्विटर पर लिखा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से मैं मृतक के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. वर्तमान में हमने PMJAY के तहत कवर नहीं किए गए उन उपचारों के लिए RAN योजना के तहत जानलेवा बीमारियों के लिए उपचार प्रदान करने के लिए मंत्रालय को पुनः अनुरोध भेजा है.

PM-JAY योजना गरीबों के लिए बनी भस्मासुर
आप इस बात का अंदाज़ा लगाइये की PM-JAY और RAN में उलझी शर्तें किस क़दर जटिल है की PM-JAY के सीईओ डॉक्टर इंदू भूषण पंकज की मौत पर सिर्फ गहरी संवेदना ही व्यक्त कर पाते हैं, लेकिन पंकज को बचा नहीं पाते. ऐसे में गरीबों के लिए बनी PM-JAY योजना उनके लिए ही भस्मासुर साबित हो रही है. यह तो सरकार के लिए बड़ा प्रश्न भी खड़ा कर रही है कि आखिर पंकज जैसे गरीबों के सामने महज दो ही विकल्प बचते हैं या तो पैसों की व्यवस्था कर इलाज करवाएं जो कि उनसे हो नहीं पाएगा या फिर पड़े-पड़े अपनी मौत का इंतजार करें.

ऐसा ही एक मामला ब्लड कैंसर से ही जूझ रहे 11 साल के मोहम्मद आमिर का है यहां मोहम्मद आमिर की क़िस्मत थोड़ी अच्छी है. मोहम्मद आमिर को एप्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी है, बेटे के इलाज के लिए बिहार से दिल्ली आई मां शाहजहां ने पिछले कई महीनों से अपना घर बार छोड़ा हुआ है. इनके पास भी बीपीएल कार्ड है, ये PM-JAY योजना में भी लिस्टेड हैं, लेकिन PM-JAY योजना में इनका नाम होने की वजह से 5 लाख रूपये से ज़्यादा खर्च के मुफ्त इलाज का फायदा नहीं उठा सकती. शाहजहां ने बेटे मोहम्मद आमिर के इलाज के लिए शर्तों में उलझी PM-JAY और RAN को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है, दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी महीने 16 जनवरी को एम्स को निर्देश दिया है की मोहम्मद आमिर का इलाज किया जाए. दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एम्स में अब उनके बेटे का इलाज हो पाएगा.

स्वास्थ्य मंत्री भी इन कमियों के उपाय के बारे में नहीं सोच रहें हैं

एम्स के ही GERIATRIC MEDICINE विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर विजय गुर्जर कहते हैं की, आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले कई महीनों से इन्होंने अपना घर बार छोड़ा हुआ है बिहार से यहां दिल्ली आए हुए हैं इलाज के लिए और आयुष्मान भारत कार्ड के चक्कर में सिर्फ एक छोटी सी कमी की वजह से इतनी अच्छी योजना का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा था. स्वास्थ्य मंत्री जी को भी सब पता है लेकिन वह भी शायद ज्यादा ही व्यस्त हैं उनके पास आयुष्मान भारत की उपलब्धियों के बारे में ट्वीट करने के लिए समय है लेकिन उसमें जो कमियां हैं जिन्हें दूर किया जा सकता है, पिछले 1 साल से भी ज्यादा समय से PM-JAY और RAN की उलझी शर्तों की खामियां बताई जा चुकी हैं लेकिन फिर वो भी शायद आंखें मूंदकर अपने कान बंद करके बैठे हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स को मोहम्मद आमिर के इलाज का दिया निर्देश

डॉक्टर विजय गुर्जर के इस गुस्से का समझा जा सकता है, ऐसे डॉक्टर चाह कर भी कई बार मरीज़ों की जान नहीं बचा पाते, क्योंकि पैसे की कमी गरीब मरीज़ों की जान पर भारी पड़ जाती है , हालांकि शाहजहां के बेटे मोहम्मद आमिर के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट का एम्स को दिया निर्देश ऐसे मरीज़ों के लिए उम्मीद जगाता है , PM-JAY और RAN की उलझी शर्तों की वजह से गरीब मरीज़ों को हो रही मुश्किलात तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल से दूर होंगी. लेकिन क्या तब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उदासीन रवैय्ये और PM-JAY और RAN की उलझी शर्तों की वजह से पंकज जैसे मरीज़ दम तोड़ते रहेंगे

Source : Sajid Ashraf

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