AyodhyaVerdict: निर्णय हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं, कई मसलों से संतुष्ट नहीं-जफरयाब जिलानी

जफरयाब जिलानी ने कहा कि जिस संवैधानिक व्यवस्था के तहत विवादित जमीन को लिया गया है, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि फैसला पूरा पढ़ने के बाद ही वह इस बारे में कोई अंतिम निर्णय करेंगे.

जफरयाब जिलानी ने कहा कि जिस संवैधानिक व्यवस्था के तहत विवादित जमीन को लिया गया है, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि फैसला पूरा पढ़ने के बाद ही वह इस बारे में कोई अंतिम निर्णय करेंगे.

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Nihar Saxena
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Zafaryab Jilani

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी.( Photo Credit : (फाइल फोटो))

अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जफरयाब जिलानी ने उसके सम्मान की बात करते हुए कहा कि विवादित जमीन को हिंदू पक्षकारों को दिए जाने से खासी निराशा जाहिर करते हुए कहा कि वह सर्वोच्च अदालत के फैसले को पूरा पढ़ने के बाद ही तय करेंगे कि पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं. उन्होंने कहा कि मस्जिद की कोई कीमत नहीं हो सकती. इसके साथ ही उन्होंने दोनों पक्षों से शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की बात करते हुए कहा कि अदालत ने देश के पंथनिरपेक्ष ताने-बाने को बरकरार रखा है. कुछ मसलों पर हमें आपत्ति है, लेकिन पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही ही इस बारे में अंतिम तौर पर आगे का रास्ता तय करेंगे.

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पूरा फैसला पढ़ने के बाद आगे का रास्ता तय करेंगे
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जफरयाब जिलानी ने कहा कि जिस संवैधानिक व्यवस्था के तहत विवादित जमीन को लिया गया है, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं. हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि फैसला पूरा पढ़ने के बाद ही वह इस बारे में कोई अंतिम निर्णय करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने देश के पंथनिरपेक्ष ढांचे को बरकरार रखते हुए साफ कर दिया है कि यहां हर धर्म बराबर हैं. उन्होंने कहा कि कहीं और 5 एकड़ जमीन मस्जिद दिए जाने की बात हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है. फिर भी हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. गौरतलब है कि सर्वोच्च अदालत के फैसले से पहले वह कहते आए थे कि उन्हें फैसला स्वीकार होगा और वह उसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया फैसला
शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ ने एकमत से फैसला पढ़ना शुरू किया. इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने अब तक विवादित कही जा रही जमीन को केंद्र के हवाले कर तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया. इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि अयोध्या में मस्जिद के लिए महत्वपूर्ण स्थान पर 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की बात कही. अदालत ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि आस्था और विश्वास को दरकिनार नहीं किया जा सकता है, लेकिन अदालत किसी धर्म को दूसरे से कमतर नहीं आंक सकती है.

HIGHLIGHTS

  • जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराशा जाहिर की.
  • कहा- हालांकि अदालती फैसले में देश के पंथनिरपेक्ष ताने-बाने की रक्षा की.
  • हालांकि वह पहले कहते आए थे कि फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेंगे.
Supreme Court Zafaryab Jilani AyodhyaVerdict Unsatisfactory
      
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