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AyodhyaVerdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो रहा अनुच्छेद 142 का जिक्र, है क्या जानें

वास्तव में संविधान के इसी अनुच्छेद के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पांच सदस्यीय खंडपीठ ने स्वीकार किया कि विवादित ढांचे के विध्वंस के रूप में भारतीय मुस्लिम समाज के साथ अन्याय हुआ है.

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Nihar Saxena
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AyodhyaVerdict: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो रहा अनुच्छेद 142 का जिक्र, है क्या जानें

सांकेतिक चित्र( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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लगभग 9 साल पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ के 2-1 से आए फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने शनिवार को अयोध्या मसले पर एकमत से फैसला सुनाया. इस फैसले में कई बार संविधान के अनुच्छेद 142 का हवाला दिया गया. वास्तव में संविधान के इसी अनुच्छेद के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पांच सदस्यीय खंडपीठ ने स्वीकार किया कि विवादित ढांचे के विध्वंस के रूप में भारतीय मुस्लिम समाज के साथ अन्याय हुआ है. ऐसे में उस गलती को सुधारने का यही सही समय है. इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया.

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यह कहा सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में
सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेष अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुस्लिम समाज के साथ जो ग़लत हुआ है, उसका सुधार होनी चाहिए. इस मामले में इंसाफ नहीं होगा अगर मुस्लिम पक्ष को नजरअंदाज कर दिया गया, जिनको एक पंथनिरपेक्ष देश में गलत तरीके से मस्जिद से बेदखल किया गया. सबसे पहले 22-23 दिसंबर 1949 को मूर्तियां रखे जाने पर मस्जिद को अपवित्र किया गया. फिर 1992 में विवादित ढांचे के विध्वंस के साथ ही खत्म कर दिया गया. लिहाजा अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों को इस्तेमाल करते हुए इसे भी ध्यान रखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं. सरकार ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करे.

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सरल भाषा में समझें अनुच्छेद 142
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में संविधान के अनुच्छेद 142 का जिक्र किया. आखिर ये अनुच्छेद है क्या? सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल ऐसी महत्त्वपूर्ण नीतियों में परिवर्तन के लिए कर सकता है जो जनता को प्रभावित करती हैं. जब अनुछेद 142 को संविधान में शामिल किया गया था तो इसे इसलिए वरीयता दी गई थी. सभी का यह मानना था कि इससे देश के वंचित वर्गों और पर्यावरण का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी. इसके तहत जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही सर्वोपरि है. सुप्रीम कोर्ट ऐसे आदेश दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले में न्याय करने के लिये आवश्यक हों. सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश संपूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है.

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संविधान में इसे ऐसे किया गया निरूपित
(1) उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री या आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो और इस प्रकार पारित डिक्री या किया गया आदेश भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र ऐसी रीति से, जो संसद‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की जाए और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी रीति से जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विहित करे, प्रवर्तनीय होगा.

(2) संसद‌ द्वारा इस निमित्त बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उच्चतम न्यायालय को भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र के बारे में किसी व्यक्ति को हाजिर कराने, किन्हीं दस्तावेजों के प्रकटीकरण या पेश कराने के अथवा अपने किसी अवमान का अन्वेषण करने या दंड देने के प्रयोजन के लिए कोई आदेश करने की समस्त और प्रत्येक शक्ति होगी.

HIGHLIGHTS

  • सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर मुस्लिमों को दी 5 एकड़ जमीन.
  • इसके तहत सर्वोच्च अदालत ऐसे आदेश कर सकती है, जो पूर्ण न्याय के लिए जरूरी हो जाता है.
  • भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के तहत भी इसी अनुच्छेद के तहत दी थी पीड़ितों को राहत.
Ayodhya Case Supreme Court Muslims Judgement Article 142
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