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Ayodhya Verdict : अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का क्या आदेश, यहां देखें पूरा फैसला

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को अयोध्‍या (Ayodhya) पर ऐतिहासिक फैसला (Ayodhya Verdict) देते हुए भव्‍य राम मंदिर निर्माण का रास्‍ता साफ कर दिया है

Updated on: 09 Nov 2019, 12:46 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शनिवार को अयोध्‍या (Ayodhya) पर ऐतिहासिक फैसला (Ayodhya Verdict) देते हुए भव्‍य राम मंदिर निर्माण का रास्‍ता साफ कर दिया है. 1048 पेज के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम बातें कही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन माह में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्‍ट बनाने का आदेश दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्‍लिम पक्ष के लिए अयोध्‍या में ही दूसरी जगह मस्‍जिद निर्माण के लिए जमीन देने का आदेश दिया है. मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों वाली संविधान पीठ ने शनिवार सुबह फैसला देते हुए कहा, हिन्‍दुओं की आस्‍था पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी और साथ ही निर्मोही अखाड़े का एक सूट भी खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्‍व वाली संविधान पीठ ने कहा, आस्‍था में विश्‍वास होना चाहिए. सीजेआई ने कहा, इसमें कोई दो राय नहीं कि मीर बाकी ने वहां मंदिर तुड़वाकर मस्‍जिद बनवाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इतिहासकारों और यात्रियों ने भी रामजन्‍मभूमि का जिक्र किया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर कोई विवाद नहीं है और हिन्‍दू वहां सदियों से पूजा करते रहे हैं. कोर्ट ने कहा, सुन्‍नी गवाहों ने भी कभी हिन्‍दुओं की आस्‍था को खारिज नहीं किया. साथ ही एएसआई की रिपोर्ट में मस्‍जिद, ईदगाह का जिक्र नहीं है और वहां जमीन के नीचे जो ढांचा मिला था, उसके गैर इस्‍लामिक होने के सबूत हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान को न्‍यायिक व्‍यक्‍ति के तौर पर मान्‍यता दी. साथ ही यह भी माना कि अयोध्‍या में मस्‍जिद के नीचे विशाल संरचना थी और मस्‍जिद खाली स्‍थान पर नहीं बना था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विवादित परिसर के अंदर मुस्‍लिम नमाज पढ़ते थे तो हिन्‍दू बाहर पूजा करते थे. मुसलमानों ने विवादित जमीन पर दावा कभी नहीं छोड़ा.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विवादित जमीन पर मंदिर बनेगा और जमीन हिंदू पक्ष को दी जानी चाहिए. मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्‍ट बनाए और ट्रस्‍ट के प्रबंधन के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं. कोर्ट ने यह भी कहा कि तीन माह के अंदर केंद्र सरकार मंदिर निर्माण की योजना बनाए और मस्‍जिद के लिए मुस्‍लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन अलग उपलब्‍ध कराई जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मुस्लिम पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बाबरी मस्जिद से पहले ये उनकी जमीन थी. इतिहासकारों और ऐतिहासिक यात्रियों ने राम जन्मभूमि की पुष्टि की है. अंग्रेजों के आने से पहले भी राम चबूतरा, सीता रसोई पर पूजा के सबूत हैं और नमाज नहीं पढ़े जाने के सबूत नहीं मिले हैं.