Ayodhyaverdict: असदुद्दीन ओवैसी के जमीन वाले बयान पर VHP का पलटवार, कही ये बड़ी बात
विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. इस दौरान उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी के जमीन वाले बयान पर पलटवार किया है.
नई दिल्ली:
हिन्दुओं (Hindu) के सबसे बड़े आराध्य श्रीराम (SriRam) का अयोध्या में मंदिर बनने का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन राम लला को दे दी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानूनी तौर पर श्रीराम को एक व्यक्ति मानते हुए अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर का रास्ता साफ कर दिया है. इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना बयान जारी किया है.
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वीएचपी ने कहा कि आज बहुत प्रसन्नता का दिन है. अनेक युग के बलिदान के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. ये महानतम फैसलों में से एक है. कब से इसकी प्रतीक्षा थी जो आज पूरी हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विश्वभर में हिंदू समाज में अपर प्रसन्नता है. हमको विश्वास है कि ये प्रसन्नता कोई दूसरा रूप नहीं लेगी और यह फैसला किसी का अपमान नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि भारत का पुरातत्व विभाग जिनके अथक प्रयास से ये साबित हुआ कि वहां मंदिर था और वह सब वकील जिन्होंने बहस की उन सबके प्रति हम करायज्ञता व्यक्त करेंगे.
विश्व हिन्दू परिषद ने आगे कहा कि हम निवेदन करेंगे कि अब आगे के निर्णय जल्द उठाए जाए. हमें उमीद है कि जल्द ही भगवान श्रीराम का मंदिर बनेगा. वीएचपी ने असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर जवाब दिया कि जमीन उन्हें लेनी है या नहीं यह उनका मसला है. सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद नहीं गिरी होती तो कोर्ट का फैसला क्या आता. छह दिसंबर के दिन क्या हुआ था, इसे हम अपनी आने वाली नस्लों को बताएंगे कि छह दिसंबर को अयोध्या में क्या हुआ था.
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उन्होंने आगे कहा कि छह दिसंबर का मामला मुसलमानों का मुद्दा नहीं है. यह भारत का मामला है. हमें मस्जिद के लिए दान की जमीन की जरूरत नहीं है, हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं. कांग्रेस पार्टी ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है. कांग्रेस पार्टी पाखंडी और धोखेबाजों की पार्टी है. उन्होंने आगे कहा कि अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती. वहीं, नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती.
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