अयोध्या विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब राम मंदिर बनाने की कवायद तेज हो गई है. सरकार पूरी तरह से कोर्ट के फैसले पर अमल करने में जुट गई है. बता दें कि सुप्रीम कोर्टने केंद्र सरकार को तीन माह में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट और योजना बनाने का आदेश दिया है. सरकारी सूत्रों की मानें तो मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने के आदेश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 दिन में सभी संबंधित पक्षों से बात करने और ट्रस्ट की रूपरेखा तय करने को कहा है. सूत्रों के मुताबिक, पीएम ने शनिवार को अफसरों से अयोध्या पर फैसले की बारीकियों को समझा और उसपर अमल करने की रणनीति पर चर्चा की.
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खबरों के अनुसार, ब्राजील में ब्रिक्स की बैठक से लौटने के बाद पीएम मोदी फिर से इस मामले में हुई प्रगति को देखेंगे. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि मंदिर निर्माण के लिए बनने वाला श्री राम मंदिर ट्रस्ट PMO की निगरामी में होगा. साथ ही इसे गुजरात के सोमनाथ मंदिर या वैष्णोंदेवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर बनाया जा सकता है.
वहीं ये भी बताया जा रहा है कि मंदिर का शिलान्यास फरवरी में हो सकता है लेकिन इसकी तारीख ट्रस्ट और पुजारी तय करेंगे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, अगर मंदिर का शिलान्यास फरवरी में नहीं हुआ तो अप्रैल 2020 में रामनवमी के मौके पर हर हाल में कर लिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य का प्रशासनिक प्रमुख होने के नाते प्रस्तावित ट्रस्ट का सदस्य बनने से मना कर सकते हैं. वह इसकी जगह ट्रस्ट में राज्य के किसी मंत्री या सीनियर ब्यूरोक्रेट को अपना प्रतिनिधि नामित कर सकते हैं.
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बता दें कि शनिवार 9 नबंवर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि विवादित जमीन पर राम मंदिर बनेगा. साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी.
राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही कहा कि निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह दी जाएगी.