logo-image

अयोध्या पर SC के फैसले को लेकर नकवी के घर बैठक, मौलवी और RSS ने लिया ये निर्णय

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पहले केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर बैठक हुई है.

Updated on: 05 Nov 2019, 06:24 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पहले केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर बैठक हुई है. इसमें मुस्लिम मौलवी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता मौजूद हैं. बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सामाजिक सौहार्द खराब न हो, इसलिए मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर मुस्लिम धर्म गुरुओं और संघ के नेताओं के बीच चल रही बैठक अब समाप्त हो गई है.

यह भी पढ़ेंः प्रियंका गांधी ने योगी सरकार से EPF घोटाला मामले में पूछा सवाल, 2 साल तक क्यों चुप थे?

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर बैठक के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो भी फैसला सुनाया जाएगा. हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए. हम सभी से अपील करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शांति बनाए रखें.

अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि हर कोई इस बात पर सहमत है कि सभी धर्मों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. हम सभी दरगाहों के लोगों को दिशा-निर्देश देंगे कि वे अफवाहों और नकली खबरों पर विश्वास न करें.

इस बैठक में ये तय हुआ कि कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वो सभी धर्मों को मान्य होगा. साथ ही मुस्लिम धर्म गुरुओं ने ये अपील की है कि इस फैसले के बाद किसी भी प्रकार की अशांति न फैलाई जाए. वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से इस बैठक की तस्वीरें जारी की गई हैं. इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि संघ नेताओं और मुस्लिम मौलवियों के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता शाहनवाज हुसैन और फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली भी बैठक में उपस्थित थे.

वहीं, कमाल फारूखी ने कहा कि ये बहुत अच्छी बैठक है. इसमें ये फैसला लिया गया कि कोर्ट का जो फैसला सुनाएगा वो सबको मंजूर होगा. ये बैठक अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुलाई थी. बता दें कि अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले बीजेपी ने सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मामले में भावनात्मक और भड़काऊ बयान देने से बचने को कहा. आरएसएस ने भी कुछ दिन पहले अपने प्रचारकों को इसी तरह का परामर्श जारी किया था.

यह भी पढ़ेंः चिराग पासवान को मिली एलजेपी की कमान, पिता ने कहा- उम्मीद है पार्टी को करेंगे मजबूत

ठीक इसी तरह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर उच्चतम न्यायालय के संभावित निर्णय से कुछ दिनों पहले शनिवार को देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों, उलेमा और बुद्धिजीवियों की बैठक हुई थी, जिसमें सभी पक्षों से अदालती फैसले को स्वीकार करने और शांति बनाए रखने की अपील की गई.

कई मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि समूह 'ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत की ओर से बुलाई गई. इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, मुशावरत के प्रमुख नावेद हामिद, 'मरकजी जमीयत अहले हदीश हिंद के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम सलफी, ऑल इंडिया उलेमा एंड मशायख बोर्ड के प्रमुख मौलाना अशरफ किछौछवी, पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी तथा कई अन्य मौलाना एवं मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी शामिल हुए.