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अयोध्‍या यानी जहां पर युद्ध न हो और अवध जहां किसी का वध न होता हो, जानें कुछ खास बातें

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सबसे पुराने और ऐतिहासिक मुकदमे में फैसला सुनाने जा रहा है. सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ आज सुबह 10:30 बजे अयोध्‍या मामले (Ayodhya Case) में फैसला देगी.

Updated on: 09 Nov 2019, 07:29 AM

New Delhi:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज सबसे पुराने और ऐतिहासिक मुकदमे में फैसला सुनाने जा रहा है. सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्‍यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ आज सुबह 10:30 बजे अयोध्‍या मामले (Ayodhya Case) में फैसला देगी. अयोध्‍या विवाद (Ayodhya Issue) को लेकर आ रहे फैसले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. वहीं राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले को लेकर कहीं हालात न बिगड़ें, इसके लिए सुरक्षा व्‍यवस्‍था के पूरे इंतजामात किए गए हैं. लगातार 40 दिन सुनवाई के बाद 16 अक्‍टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ (Constitution Bench) ने फैसला (Ayodhya Verdict) सुरक्षित रख लिया था. अब इस मामले में फैसले की घड़ी आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अयोध्‍या (Ayodhya) पर फैसले को लेकर देशवासियों से संयम और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है. इस खास मौके पर आपको अयोध्‍या के बारे में इन बातों को भी जानना चाहिए. हम आपको अयोध्‍या के बारे में बहुत कुछ बताने जा रहे हैं. आइए डालते हैं एक नजर. 

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स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है और 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है. इसका शाब्दिक अर्थ है जहां पर युद्ध न हो. यह अवध का हिस्सा है. अवध यानी जहां किसी का वध न होता हो. अयोध्या का अर्थ जिसे कोई युद्ध से जीत न सके. राम के समय यह नगर अवध नाम की राजधानी से जाना जाता था. बौद्ध ग्रन्थों में इन नगरों के पहले अयोध्या और बाद में साकेत कहा जाने लगा.

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महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी हो गई, मगर श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व फिर भी बना रहा. ऐसा कहा जाता है कि यहां जन्मभूमि पर कुश ने एक मंदिर बनवाया था. इसके बाद यह उल्लेख मिलता है कि ईसा के लगभग 100 वर्ष पूर्व उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने यहां एक भव्य मंदिर के साथ ही कूप, सरोवर, महल आदि बनवाए. कहते हैं कि उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था. इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती थी.

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विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने समय-समय पर इस मंदिर की देख-रेख की. उन्हीं में से एक शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. अनेक अभिलेखों से ज्ञात होता है कि गुप्तवंशीय चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय और तत्पश्चात काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी. गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अयोध्या का रघुवंश में कई बार उल्लेख किया है. यहां पर 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था. उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध मंदिर थे और 3,000 भिक्षु रहते थे. कुछ लोग मानते हैं कि यह 1528 ईस्वी का है जब एक मंदिर को तोड़कर बाबरी ढांचे का निर्माण कराया गया था.

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सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की स्‍थापना रामायण के अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज ने की थी. माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे. ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ. कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे. स्‍कंदपुराण के अनुसार अयोध्‍या भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान हैं.

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आपको बता दें कि अयोध्या रघुवंशी राजाओं की कौशल जनपद की बहुत पुरानी राजधानी मानी जाती है. वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु के वंशजों ने इस नगर पर राज किया था. इस वंश में राजा दशरथ 63वें शासक थे. इसी वंश के राजा भारत के बाद श्रीराम ने शासन किया था. उनके बाद कुश ने एक इस नगर का पुनर्निर्माण कराया था. बताया जाता है कि कुश के बाद बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इस पर रघुवंश का ही शासन रहा. फिर महाभारत काल में इसी वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों महाभारत के युद्ध में मारा गया था. बृहद्रथ के कई काल बाद तक यह नगर मगध के मौर्यों से लेकर गुप्तों और कन्नौज के शासकों के अधीन रहा. अंत में यहां महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की और उसके बाद से ही अयोध्या के लिए लड़ाइयां शुरू हो गई.

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वाल्मीकि लिखित रामायण के बालकाण्ड में इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि अयोध्या 12 योजन-लम्बी और 3 योजन चौड़ी थी. सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेन सांग ने इसे 'पिकोसिया' संबोधित किया है. उसके अनुसार इसकी परिधि 16ली (एक चीनी 'ली' बराबर है 1/6 मील के) थी. संभवतः उसने बौद्ध अनुयायियों के हिस्से को ही इस आयाम में सम्मिलित किया हो. आईन-ए-अकबरी के अनुसार इस नगर की लंबाई 148 कोस और चौड़ाई 32 कोस मानी गई है.

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अयोध्या पर न्यूज स्‍टेट की अपील
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाने वाला है, एक जिम्मेदार वेबसाइट होने के नाते हमारी आपसे अपील है कि अयोध्या पर किसी भी तरह की अफवाहों से आप बचें और दूसरों को भी बचाएं. न्यायपालिका के फैसले का सम्मान करें, और देश में भाई-चारे के माहौल को और मजबूत करें.