अयोध्या मध्यस्थता पैनल ने एक सेटलमेंट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. सूत्रों के मुताबिक, सुन्नी वक्फ बोर्ड इस पर सहमत हो गया है कि विवादित ज़मीन के बदले उसे कहीं और जगह मस्जिद बनाने के लिए जमीन दे दी दिए जाए. हालांकि इस चर्चा में कई अहम हिंदू और मुस्लिम पक्षकार शामिल नहीं हुए थे. वैसे गौर करने वाली बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के अलावा 6 और मुस्लिम पार्टियां हैं. इसलिए मामला यही पर खत्म नहीं होगा.
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अगर कोर्ट में इस पर चर्चा होती है तो बाकी 6 मुस्लिम पक्षकारों की राय की भी अपनी अहमियत है. बाकी मुस्लिम पार्टियां वक्फ़ बोर्ड के इस कदम के विरोध में हैं. ऐसे में मुस्लिम पक्ष में आपस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो सकता है. आज सुनवाई पूरी होते वक्त कोर्ट में इस पर चर्चा हो सकती है.
इससे पहले बुधवार सुबह खबर आई थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में विवादित जमीन पर दावा छोड़ दिया है. इस खबर से सनसनी फैल गई. यहां तक कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी ने इसे ऐन मौके आई अक्ल भी करार दिया. वसीम रिजवी ने यह भी कहा कि अयोध्या में अब राम मंदिर बनने से कोई नहीं रोक सकता. हालांकि कुछ ही देर बाद मुख्य मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने जमीन पर दावा छोड़ने के दावा को महज अफवाह करार दिया.
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एक दिन पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि बुधवार को अयोध्या मसले पर सुनवाई का आखिरी दिन है. इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा. सोशल मीडिया पर सुन्नी वक्फ बोर्ड की यह खबर तेजी से फैलने लगी कि वह अयोध्या में विवादित जमीन पर से अपना दावा छोड़ सकता है और इस बाबत मध्यस्थता पैनल को शपथनामा दे सकता है.