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राम मंदिर मुद्दे पर बीजेपी के 'बड़बोले' नेताओं के बयान को लेकर शिवसेना ने कही ये बात

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राम मंदिर के मुद्दें को उठाते हुए मोदी सरकार और प्रधानमंत्री को घेरा है. शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नासिक में राम मंदिर के बारें में जोरदार प्रदर्शन किया है.

Updated on: 21 Sep 2019, 12:05 PM

नई दिल्ली:

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में राम मंदिर के मुद्दे को उठाते हुए मोदी सरकार और प्रधानमंत्री को घेरा है. शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नासिक में राम मंदिर के बारें में जोरदार प्रदर्शन किया है. राम मंदिर का पेंच फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में फंसा हुआ है और हर दिन सुनवाई हो रही है. आने वाले दो महीनों में राम मंदिर पर फैसला आना अपेक्षित है. इसके आगे उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कानूनी प्रक्रिया से हो इसलिए कोर्ट पर भरोसा रखो लेकिन उनकी ही पार्टी के लोग मंदिर निर्माण पर ज्वलनशील बयान दे रहे है.

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शिवसेना ने कहा कि जब से मोदी सत्ता में आए है, उन्हें ज्यादा दिक्कतों का सामना अपनी ही पार्टी के कुछ बड़बोले लोगों से हो रही है. पीएम को अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से कहना पड़ा कि सोच-समझकर बयान दें.

उन्होंने कहा कि बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर हों या मंत्री गिरिराज सिंह, इनके कई बयान मोदी की प्रतिमा को धूमिल करने वाले हैं. ये सही है कि राम मंदिर का मामला न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन राम मंदिर के मुद्दे पर मनमाने तरीके से बोलने वाले वाचालवीर बीजेपी में हैं. बलात्कार के आरोप में कल गिरफ्तार हुए स्वामी चिन्मयानंद ने भी राम मंदिर के मामले में बड़ा बयान दिया था, अब वे जेल भेजे गए हैं.

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शिवसेना ने आगे कहा कि बीजेपी के सांसद और संघ के अत्यंत विश्वसनीय आरके सिन्हा ने तो ऐसा बड़बोलापन किया कि पूछो मत. बीजेपी सांसद सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे कुछ लोग नहीं चाहते कि अयोध्या में राम मंदिर बने. यह बयान सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट पर अविश्वास था और ऐसा बयान था, जिसे प्रधानमंत्री पसंद नहीं करते. बड़बोलेपन की हद तो उत्तर प्रदेश के बीजेपीई मंत्री मुकुटबिहारी वर्मा ने कर दी.

बीजेपी के मुकुटबिहारी का कहना है, 'अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट हमारा है! देश की न्याय व्यवस्था बीजेपी की मुट्ठी में है इसलिए राम मंदिर का पैâसला हमारे अनुकूल ही होगा.' इस बड़बोलेपन से सुप्रीम कोर्ट भी चौंक गया. मुख्य न्यायाधीश ने चिंता व्यक्त की और विरोधी प्रधानमंत्री मोदी की 'न्यायप्रिय' नीति पर आशंका व्यक्त करने लगे इसलिए नासिक में प्रधानमंत्री की झुंझलाहट समझनी चाहिए. बड़बोलेपन से प्रधानमंत्री की नीति पर सवाल उठ रहे हों तो बीजेपी नेताओं को राम मंदिर के मुद्दे पर बोलने से बचना चाहिए.

वहीं राम मंदिर मामले पर बीजेपी नेता संबित पात्रा ने भी बयान देते हुए कहा था, 'अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही शुरू होगा और 'भगवा पार्टी' का ये मुख्य एजेंडा है.' 

शिवसेना ने कहा कि  विधानसभा या लोकसभा चुनाव आने पर राम मंदिर के मुद्दे पर बयान शुरू हो जाते हैं. राम मंदिर का मामला न्यायालय में है, ये स्वीकार्य है लेकिन अयोध्या में जब बाबरी का विध्वंस हुआ उस समय भी ये मामला न्यायालय में विचाराधीन था फिर भी लोगों ने बाबरी तोड़कर राम मंदिर बनाया.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में शिवसैनिक अयोध्या पहुंचे और बाबरी पतन के पश्चात सभी ने हाथ ऊपर कर लिए. उस समय बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी सिर्फ शिवसेना प्रमुख ने ली थी. किसी भी प्रकार का 'बड़बोलापन' न करते हुए उन्होंने हिंदू अस्मिता के लिए इस अंगार को अपने आगोश में ले लिया था. अब न्यायालय की लड़ाई अंतिम चरण में है. बीजेपी नेताओं ने प्रधानमंत्री की बात मानकर अपने मुंह पर ताला लगा लिया तो राम मंदिर का निर्णय हो ही गया समझो! प्रधानमंत्री की भी यही इच्छा है!