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Ayodhya Case: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा, जानिए क्या होता है 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ'

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब इस मामले में 23 दिन बाद फैसला आ सकता है.

Updated on: 19 Oct 2019, 02:17 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब इस मामले में 23 दिन बाद फैसला आ सकता है. सबसे आखिर में मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं. अब सुप्रीम कोर्ट ने लिखित हलफनामा, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लिखित में जमा करने के लिए तीन दिन का समय दिया है.

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क्या होता है 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' (Molding Of Relief)

कानून के जानकारों के मुताबिक, अयोध्या मामला पूरे अदालती और न्यायिक इतिहास में असाधारण मामलों में से एक है. इसमें विवाद का असली यानी मूल ट्रायल हाई कोर्ट में हुआ और पहली अपील सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है. इसका मतलब ये है कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब ये हुआ कि याचिकाकर्ता ने जो मांग कोर्ट से की है अगर वो नहीं मिलती तो विकल्प क्या हो जो उसे दिया जा सके दूसरे शब्दों में कहें तो सांत्वना पुरस्कार. अयोध्या केस में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ से मतलब ये हुआ कि विवादित जमीन का हक किसी एक पक्ष को दिया जाए तो दूसरा पक्ष को क्या दिया जा सके.

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वहीं कोर्ट ने तो मोल्डिंग ऑफ रिलीफ की बात कर दी है मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने भी इस बाबत संकेत दिए कि अगर मोल्डिंग की बात है तो हमें 6 दिसंबर 1992 के पहले वाली हालत की मस्जिद की इमारत चाहिए. इसी तरह हिंदू पक्षकारों से हमने बात की तो उनका कहना है कि हमें तो राम जन्मस्थान चाहिए इसके अलावा कुछ और नहीं.