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अयोध्या विवाद: जानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्य पक्षकारों और लोगों ने क्या कहा

अयोध्या में विवादित ढांचा के मामले में एक पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. उनका कहना है कि पहले भी मध्यस्थता की कोशिश हुई है, लेकिन एक बार और होती है तो ठीक है.

Updated on: 08 Mar 2019, 12:25 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने केस को मध्‍यस्‍थता के लिए भेज दिया है. मध्‍यस्‍थ की नियुक्‍ति सुप्रीम कोर्ट के माध्‍यम से होगी और उसकी निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट ही करेगा. मध्‍यस्‍थता के लिए 3 लोगों का पैनल बनाया गया है और 8 हफ्ते में मध्‍यस्‍थता पूरी करनी होगी. इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह की अगुवाई में तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी गठित की गई है. इसमें श्रीश्री रविशंकर और श्रीराम पंचू शामिल हैं.

बीजेपी प्रवक्ता

कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या मामले से जुड़े पक्षकारों सहित तमाम लोगों की प्रतिक्रिया सामने आई है. इस पर बीजेपी प्रवक्ता श्री राज नय्यर का कहना है कि कोर्ट के फैसले पर हमारे नेता विचार करेंगे.

मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी

वहीं अयोध्या में विवादित ढांचा के मामले में एक पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. उनका कहना है कि पहले भी मध्यस्थता की कोशिश हुई है, लेकिन एक बार और होती है तो ठीक है.

राम मंदिर पक्षकार महंत धर्मदास महाराज

अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद के प्रमुख पक्षकार महंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. उनहोंने कहा कि जस्टिस खलीफुल्लाह को इसका अध्यक्ष बनाया गया है यह भी ठीक है. उन्होंने कहा कि उनके नाम पर कोई सियासत नहीं होनी चाहिए. एक जज जज होता है, उसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है.

रामजन्मभूमि के पक्षकार स्वामी चक्रपाणि

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अदालत में रामजन्मभूमि के पक्षकार स्वामी चक्रपाणि ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए समय तय किया है यह ठीक है.

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क्‍या है अयोध्‍या विवाद

अयोध्या जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.

बता दें कि अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने सभी पक्षों को सलाह दी है कि बातचीत से मामले को सुलझाया जाए. निर्मोही अखाड़े को छोड़कर रामलला विराजमान समेत हिंदू पक्ष के बाकी वकीलों ने मध्यस्थता का विरोध किया. मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार है. कोर्ट ने कहा है कि जल्द ही फैसला देंगे. सभी पक्षकारों से मध्यस्थ के नाम मांगे हैं.