अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए मध्यस्थता पैनल की प्रक्रिया को आगे जारी न रखने का फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया को फेल करार देते हुए कहा कि अब 6 अगस्त से अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई होगी. एक दिन पहले ही मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट के बाद ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला चुनाया कि अयोध्या मामले में 6 अगस्त से रोज सुनवाई होगी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 31 जुलाई को मध्यस्थता पैनल को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन उन्होंने एक दिन बाद यानी एक अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसके बाद कोर्ट ने 2 अगस्त को सुनवाई की तारीख तय की.
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अयोध्या मामले का हल ढूंढने के लिए चार महीने पहले जिस मध्यस्थता कमेटी का गठन किया गया था. अयोध्या मामले से जुड़े हिंदू संगठन पहले से ही कहते रहे हैं कि इस विवाद का निपटारा मध्यस्थता से मुमकिन नहीं है. आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों की मांग थी कि केंद्र सरकार कानून बनाकर या अध्यादेश लाकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करे. लेकिन आठ सालों से ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में ये तय किया कि अदालत ही इस समस्या का समाधान करे तो बेहतर होगा.
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इसके अलावा चुनावी मौसम होने की वजह से भी सरकार को कोई कदम उठाने पर कड़े सियासी विरोध का सामना करना पड़ सकता था. लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए ये कह दिया था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम और मान्य होगा. तब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले की जल्द और रोजाना सुनवाई से इनकार करते हुए लोकसभा चुनाव से पहले ये मुद्दा मध्यस्थता पैनल के हवाले कर दिया था. अब सवाल ये उठ रहे हैं कि अगर ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से ही सुलझाया जाना था तो इसे मध्यस्थता पैनल को सौंपकर इतना लंबा क्यों खींचा गया?
Source : Arvind Singh