अयोध्या विवाद: बाबरनामा से गायब हैं बाबर की अयोध्‍या यात्रा से संबंधित पेज, दोनों पक्षों ने माना

वैद्यनाथन ने स्कन्द पुराण का जिक्र करते हुए बताया कि रामजन्मभूमि के पश्चिमी हिस्से में सरयू नदी बहती है

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Aditi Sharma
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अयोध्या विवाद: बाबरनामा से गायब हैं बाबर की अयोध्‍या यात्रा से संबंधित पेज, दोनों पक्षों ने माना

अयोध्या मामले की सुनवाई का सुप्रीम कोर्ट में आज यानी बुधवार को छठा दिन है. रामलला की ओर से सी एस वैद्यनाथन दलीलें रख रहे हैं. इस दौरान वैद्यनाथन ने स्कन्द पुराण का जिक्र करते हुए बताया कि रामजन्मभूमि के पश्चिमी हिस्से में सरयू नदी बहती है. जस्टिस भूषण ने पूछा कि ये पुराण कब लिखा गया था. वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि महाभारत के वक्त वेद व्यास ने इसकी रचना की थी. उन्होंने कहा- ये परम्परा रही है कि सरयू नदी में स्नान के बाद रामजन्मभूमि के दर्शन का लाभ मिलता है.

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जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, आप जो कह रहे है उसमें रामजन्मभूमि के दर्शन के बारे में कहा गया है देवता के बारे में नही?  सी एस वैद्यनाथन ने कहा वो इसलिए क्योंकि जन्मस्थान खुद में ही एक देवता है. दलील देते वक्त सी एस वैद्यनाथन ने ब्रिटिश टूरिस्ट विलियम फिंच की 1608 -1611के बीच अयोध्या की यात्रा का हवाला दिया . उन्होंने कहा, उन्होंने 'early travels in India' नाम की पुस्तक लिखी, जिसमे भारत आने वाले 7 यात्रियों के संस्मरण थे. सीएस वैद्यनाथन ने कई टूरिस्ट की पुस्तकों का हवाला देकर साबित करने की कोशिश की कैसे वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.

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जस्टिस बोबडे ने इस पर पूछा कि इस जगह को कब बाबरी मस्जिद के तौर पर जाना जाता था. सीएस वैद्यनाथन ने जवाब दिया, 19 वीं सदी में. इससे पहले कभी इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना नहीं गया. जस्टिस बोबडे ने इस पर पूछा - क्या बाबरनामा में इसका जिक्र है? सीएम वैद्यनाथन ने कहा, बाबरनामे में बाबर की अयोध्या यात्रा को लेकर पेज गायब है.

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मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्ति

हालांकि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि बाबरनामा में बाबर के अयोध्या भ्रमण को लेकर कुछ नही लिखा गया है. राजीव धवन ने कहा बाबरनामा में इस बात का जिक्र है कि बाबर नदी पार कर अयोध्या रुका था. इसलिए ये नही कहा जा सकता कि बाबरनामा में अयोध्या यात्रा को लेकर जिक्र ही नहीं. हां , कुछ पेज गायब हैं.

सीएस वैद्यनाथन ने रामजन्मभूमि की प्रामाणिकता साबित करने के लिए 1854 में प्रकाशित गजेटियर का हवाला दिया. (ब्रिटिश काल में शुरू किए गए गजेटियर वो सरकारी दस्तावेज है, जिनमें किसी इलाके की सामाजिक, आर्थिक व भौगोलिक जानकारी होती है). चीफ जस्टिस ने जब इनकी प्रामाणिकता के बारे में सवाल किया तो वैद्यनाथन ने जवाब दिया- वो कोर्ट रिकॉर्ड का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा, गजेटियर के होने पर सवाल नहीं है पर उसका कंटेंट बहस का विषय हो सकता है. वैद्यनाथन ने फैज़ाबाद के कमिश्नर रह चुके पी कार्नेगी के quote का हवाला दिया कि अयोध्या का हिंदुओं के लिए वही महत्व है, जो मुसलमानो के लिए मक्का का.

रामलला की ओर से सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन ने विवादित ज़मीन पर मंदिर की मौजूदगी और जन्मभूमि के महत्व को दर्शाने  लिए कई पुस्तकों / यात्रा- वृत्तांत का हवाला दिया. रामलला की ओर से पेश सी एस वैद्यनाथन ने डच इतिहासकर हंस बेकर की पुस्तक का हवाला दिया जिसके मुताबिक विक्रमादित्य के शासन के वक़्त 360 मंदिरों का निर्माण हुआ।मुस्लिम  सत्ता आने के बाद उनमे कई को ध्वस्त किया गया. पुस्तक के मुताबिक सबसे पहले जिस मंदिर को नष्ट किया गया, वो अयोध्या जन्मभूमि वाला मंदिर  ही था. 

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