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अयोध्या मामला: राम चबूतरे को श्रीराम जन्मस्थान मानने में हर्ज नहीं- मुस्लिम पक्ष

अयोध्या मामले में सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस बोबड़े ने जिलानी से सीधा सवाल किया कि क्या इस बात को कोई विवाद है कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था?

Updated on: 24 Sep 2019, 08:39 PM

नई दिल्ली:

अयोध्या केस में आज सुनवाई का 30 वां दिन था. आज (मंगलवार) की सुनवाई इस लिहाज से अहम रही कि मुस्लिम पक्ष ने हिचकते हुए ही सही, ये स्वीकार कर लिया कि उन्हें रामचबूतरे को श्रीराम जन्मस्थान मानने में हर्ज नहीं है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस बोबड़े ने जिलानी से सीधा सवाल किया कि क्या इस बात को कोई विवाद है कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था?

ज़फरयाब जिलानी ने जवाब दिया, 'हमें ये मानने में कोई दिक्कत नहीं कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था. हम सिर्फ इस बात के खिलाफ है कि उनका जन्म वही हुआ, जहां मस्जिद थी.

इसके बाद जस्टिस बोबड़े ने जिलानी से सवाल किया कि क्या आप मानते है कि रामचबूतरा श्रीराम का जन्मस्थान है, इस पर जिलानी ने जवाब दिया कि हम इसे स्वीकार कर लेते है, क्योंकि इससे पहले तीन कोर्ट इस बात को मान चुके है. गौर करने वाली बात ये है कि जिस मस्जिद में श्रीराम के जन्मस्थान को लेकर विवाद है, वो रामचबूतरे से बमुश्किल 50-80 फ़ीट की दूरी पर है.

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हालांकि इससे पहले भी मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन ये दलील दे चुके है कि रामचबूतरे पर अरसे से हिंदू पूजा करते रहे हैं. लेकिन अंदर के हिस्से में हमेशा नमाज़ पढ़ी जाती रही है. लेकिन ये पहली बार है कि कोर्ट के आदेश को मानने का हवाला देते हुए मुस्लिम पक्ष ने रामचबूतरे को श्रीरामजन्मस्थान माना है.

'मंदिर गिराकर बाबर ने मस्जिद नहीं बनाई'
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने इस बात पर भी जोर दिया कि बाबर ने श्रीराम मंदिर को गिराकर मस्जिद का निर्माण नहीं किया था. जस्टिस बोबड़े ने ज़फरयाब जिलानी से तीन सवाल पूछे-

* क्या बाबर ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया?

* क्या बाबर ने ऐसी जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया, जहां कभी मंदिर हुआ करता था?

* क्या बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद पर निर्माण कराया?

जिलानी ने जवाब दिया, 'हमारा दावा है कि बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया. हो सकता है वहां कभी कोई भी मंदिर भी रहा होगा, लेकिन वो बहुत पहले ही गायब हो चुका था. ज़मीन खाली थी, जब बाबर ने मस्जिद का निर्माण कराया. जिलानी ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं जिससे साफ हो कि बाबर ने श्रीराम मंदिर को ध्वस्त किया. हालांकि इस बात के बहुत सारे सबूत मिल जाएंगे जो साबित कर देंगे कि महमूद गज़नी ने बहुत सारे मंदिरों को ध्वस्त किया था.

रामचरितमानस, रामायण और आइने-ए-अकबरी का जिक्र

सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील ज़फरयाब जिलानी ने कहा, 'चाहे वाल्मिकी रामायण हो या फिर रामचरित मानस, दोनों में रामजन्मभूमि मंदिर का कोई जिक्र नहीं है.
इस पर बेंच ने सवाल किया, 'क्या इन ग्रंथों में इनका जिक्र न होने भर से ये साबित हो जाएगा कि वहां मंदिर की मौजूदगी नहीं रही है.

जस्टिस एस ए बोबड़े ने पूछा कि आइने-ए-अकबरी की ये खासियत है कि उसमे बहुत ब्यौरा है, तब इसमे बाबरी मस्जिद का कोई जिक्र नहीं है (आइन-ए-एकबरी, एक 16वीं शताब्दी का ब्यौरेवार ग्रन्थ है इसकी रचना अकबर के दरबारी अबुल फज़ल ने की थी) इसके जवाब में जिलानी ने कहा कि इस पुस्तक के लिखे जाने के वक्त विवादित जगह से जुड़ी हिन्दू मान्यताओं को लेकर कोई विवाद नहीं था. उस पुस्तक में सिर्फ अहम बातो को जगह दी गई है.

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राजीव धवन की दलील

जफरयाब जिलानी से पहले मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दलीलें रखी. धवन ने सूट नंबर 1 यानि गोपाल सिंह विशारद की ओर से दायर अर्जी के जवाब में दलीलें रखी. धवन ने कहा, 'विशारद ने श्रीरामजन्मभूमि पर पूजा के व्यक्तिगत अधिकार का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था और उनकी मौत के बाद उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहा. गौर करने वाली बात ये है कि 1950 में पूजा के अधिकार को हासिल करने के लिए निचली अदालत का रूख करने वाले गोपाल सिंह विशारद का 1986 में देहांत हो चुका है, उनकी मौत के बाद उनके बेटे राजेन्द्र सिंह पैरवी कर रहे है. राजीव धवन ने दलील दी कि गर्भगृह में पूजा नहीं की गई. 1949 में वहां जबरन मूर्ति रखी गई. जबरन ग़लत तरीके से रखी मूर्ति से हिंदुओ के दावे के हक़ नहीं बनता.

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धवन ने कहा कि जब जब हिन्दू पक्ष की ओर से जबरन एंट्री की कोशिश की गई, हमेशा मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया और ऑथोरिटी ने भी मुस्लिमों के पक्ष में ही फैसला दिया. धवन ने दलील दी कि पुराने वक्त से बादशाह की ओर से वहां मस्जिद के मुतवल्ली को मस्जिद की देखरेख के लिए 302 रुपये सालाना मिलता था. अंग्रेजों के वक़्त में मुतवल्ली को राजस्व हासिल करने के लिए कई गांव दे दिये गये. ये दर्शाता है कि मुसलमानों का वहां पर कब्जा रहा है.

कल भी मुस्लिम पक्ष की ओर से दलीले जारी रहेगी.