अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टली, अगली तारीख 20 अगस्‍त

सुनवाई के दौरान आजकल रामलला की ओर से सी एस वैद्यनाथन जिरह कर रहे हैं. उनसे पहले निर्मोहो अखाड़े की ओर से सुशील जैन और रामलला की ओर से के परासरन दलीलें रख चुके हैं

सुनवाई के दौरान आजकल रामलला की ओर से सी एस वैद्यनाथन जिरह कर रहे हैं. उनसे पहले निर्मोहो अखाड़े की ओर से सुशील जैन और रामलला की ओर से के परासरन दलीलें रख चुके हैं

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Aditi Sharma
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अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टली, अगली तारीख 20 अगस्‍त

अयोध्या मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टाल दी गई है. इसकी वजह संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस एस ए बोबड़े का अस्वस्थ होना बताया जा रहा है. अयोध्या मामले पर अब तक 7 दिनों की नियमित सुनवाई हो चुकी है. सुनवाई के दौरान आजकल रामलला की ओर से सी एस वैद्यनाथन जिरह कर रहे हैं. उनसे पहले निर्मोहो अखाड़े की ओर से सुशील जैन और रामलला की ओर से के परासरन दलीलें रख चुके हैं. अब इस मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त यानी मंगलवार को होगी.

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इससे पहले शुक्रवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने बाबरी मस्जिद के नक्शे और फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाए थे. उन्होंने कहा था, खुदाई के दौरान मिले खम्बों में श्री कृष्ण, शिव तांडव और श्री राम के बाल रूप की तस्वीर नज़र आती है. वैद्यनाथन ने कहा था, 1950 में वहां हुए निरीक्षण के दौरान भी तमाम ऐसी तस्वीरें और स्ट्रक्चर मिले थे, जिनके चलते उसे कभी भी एक वैध मस्ज़िद नहीं माना जा सकता. किसी भी मस्ज़िद में इस तरह के खम्भे नहीं मिलेंगे. सिर्फ मुस्लिमों ने वहां कभी नमाज़ अदा की, इसके चलते विवादित ज़मीन पर मुस्लिमों का हक़ नहीं बन जाता.

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सी एस वैद्यनाथन ने कहा था, विवादित ज़मीन पर मुस्लिमों ने कभी नमाज़ पढ़ी हो, इसके चलते उनका ज़मी पर कब्ज़ा नहीं हो जाता. अगर गली में नमाज़ पढ़ी जाती है, तो इसका मतलब ये नहीं कि नमाज़ पढ़ने वालों का गली पर कब्ज़ा हो गया.उन्होंने कहा, विवादित जगह पर भले ही अपने कब्ज़े को सही ठहराने के लिए इसे कभी मस्ज़िद के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो, पर शरीयत कानून के लिहाज से ये कभी वैध मस्ज़िद नहीं रही. वहां मिले स्तम्भों पर मिली तस्वीरे इस्लामिक आस्था और विश्वास के अनुरूप नहीं है. मुस्लिमों की इबादत की जगह पर कभी ऐसी तस्वीर नहीं मिलती. जस्टिस बोबड़े के पूछने पर वैद्यनाथन ने ये बताया कि तस्वीर 1990 में ली गई थी.

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वहीं दूसरी तरफ खबर है कि अयोध्या में कारसेवकपुरम में भी गतिविधियां अचानक तेज हो गई हैं. खासकर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम काफी तेज कर दिया गया है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक राम मंदिर के निर्माण में काम आने वाले पत्थरों को तराशने का काम जल्द पूरा करने के लिए राजस्थान से कारीगरों को बुलाया जाएगा. कारसेवकपुरम में अचानक बढ़ी इन गतिविधियों से ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार ने मंदिर पर भी कोई रूपरेखा खींचनी शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें तो पत्थरों का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है, जिसकी मदद से राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर बनाया जाएगा.

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