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अयोध्या मामला:श्रीराम जन्मभूमि पर था मंदिर, शिलालेख से होती है ASI के दावे की पुष्टि: रामलला के वकील

वैद्यनाथन ने कहा, हकीकत ये है कि मंदिर को ध्वस्त कर विवादित ढांचे का निर्माण किया गया. लेकिन इसके बावजूद अनगिनत रामभक्तों की श्रद्धा यहां बनी रही

Updated on: 20 Aug 2019, 03:18 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सुनवाई का आज 8वां दिन है. फिलहाल रामलला के वकील वैद्यनाथन कोर्ट जिरह कर रहे हैं.  वैद्यनाथन इलाहाबाद HC के फैसले का हवाला देकर ये साबित करने की कोशिश कर रहे है कि विवादित ढांचे के नीचे प्राचीन मंदिर था.  वैद्यनाथन ने कहा, हकीकत ये है कि मंदिर को ध्वस्त कर विवादित ढांचे का निर्माण किया गया. लेकिन इसके बावजूद अनगिनत रामभक्तों की श्रद्धा यहां बनी रही. लोग यहां आते रहे, प्रार्थना करते रहे. जितनी तादाद में यहां श्रद्धालुओं का आवागमन बना रहा, इसके साथ यहां आने वाले यात्रियों के संस्मरण, पुरातत्व विभाग के सबूत, ये सभी साबित करते है कि ये जगह श्रीराम का जन्मस्थान है.

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इसके साथ ही सी एस वैद्यनाथन ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का हवाला दिया. उन्होंने कहा, वहां मस्ज़िद के नीचे एक पत्थर का चबूतरा मिला जिस पर संस्कृत भाषा में लिखा था. उस पर लिखा छंद साकेत मंडला के राजा गोविंदा चंद्रा के बारे में है. अयोध्या उस वक्त उसकी राजधानी थी. यहां विष्णु हरि का बड़ा मंदिर था. पुरातत्व विभाग की खुदाई में इसकी पुष्टि हुई है.

रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन ने पांचजन्य पत्रिका के पत्रकार की गवाही का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा, विवादित ढांचा विध्वंस के वक़्त  उन्होंने पश्चिमी दीवार से इस शिलालेख  को गिरते हुए देखा था. पुलिस के वहां मौजूद कारसेवकों को खदेड़ने से पहले वो पत्थर के बहुत सारे टुकड़ो को अपने साथ ले गए। वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों के समर्थन में फोटोग्राफ भी दिखाए कि कहां से वो शिलालेख गिरा और पत्रकार से उसे गिरते हुए देखा. वैद्यनाथन ने कहा कि शिलालेख ASI के दावे की पुष्टि करता है कि श्री राम के जन्मस्थान पर भव्य राममंदिर था.

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सीएस वैद्यनाथन ने कहा, एएसआई  की रिपोर्ट के मुताबिक वहां मौजूद पत्थर के टुकड़ो पर मगरमच्छ और कछुए की आकृतियों का जिक्र है, जिसका मुस्लिम संस्कृति से कोई वास्ता नहीं है. लंच के बाद सुनवाई फिर जारी की गई है. रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन, पुरात्तव विभाग के सबूतों ,  ऐतिहासिक  सन्दर्भों के बाद  गवाहियों का जिक्र कर रहे है. इनमे वो लोग शामिल है, जो अयोध्या / रामजन्मभूमि के दर्शन के लिए आते रहते थे.

वैद्यनाथन उन लोगों की गवाहियों का जिक्र कर रहे है, जो यहां अक्सर दर्शन के लिए आते रहते है या फिर यहां लंबे समय से रह रहे है. वैद्यनाथन ने 90 साल के परमचन्द रामचन्द्र दास का हवाला देते हुए कहा कि वो लंबे समय से अयोध्या में रहते आये है और 1999 में 90 साल की उम्र में उन्होंने गवाही दी. यहां तक कि क्रॉस एग्जामिनेशन में वो अपने बयान से नहीं डिगे.

सीएस वैद्यनाथन ने एक दूसरे गवाह रामनाथ मिश्रा की गवाही का जिक्र किया , जिनकी बयान देते वक़्त उम्र 91 साल की थी. उनके बयान के मुताबिक उनकी शादी के बाद सभी मेहमान रामजन्मभूमि के दर्शन के लिए गये और उस जगह की परिक्रमा की.

वैद्यनाथन ने कई ऐसे गवाहों के बयान का जिक्र किया. उन्होंने कहा, इन गवाही से साफ है कि अयोध्या में रामनवमी मनाई जाती है. कार्तिक महीने में पंचकोसी- चौदह कोसी परिक्रमा की जाती है. श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान करते थे. स्नान के बाद रामजन्मभुमि और दूसरे मंदिरों के दर्शन करते थे.