अयोध्या मामले की सुनवाई का आज यानि बुधवार को 19वां दिन था. आज पूरे दिन मुस्लिम पक्ष की ओर राजीव धवन ने दलीलें रखीं. राजीव धवन ने कहा कि उन्हें निर्मोही अखाड़े के सेवादार के अधिकार पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ऐसा करने से वो जमीन के मालिक नहीं हो सकते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि निर्मोही अखाड़े को सेवादार का हक देकर क्या वो ये स्वीकार नहीं कर रहे कि मस्जिद का एक हिस्सा मंदिर था. धवन ने जवाब दिया- हां ये हो सकता है पर कौन सा हिस्सा ये मायने रखता है. निर्मोही अखाड़ा सिर्फ बाहरी रामचबूतरे पर पूजा करता रहा है.
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इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सेवादार के हक से देवता की मौजूदगी साबित होती है. जब आप कहते हैं कि अखाड़े को सेवादार का हक हासिल है तो कहीं न कहीं आप ये मान रहे हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में मूर्तियां मौजूद थी. और ये वो हिस्सा नहीं है, जिसे आप मस्जिद बता रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने धवन को ध्यान दिलाया कि उन्होंने अपनी याचिका में विवादित जमीन के पूरे हिस्से (बाहर और अंदरूनी पर) पर मालिकाना हक होने का दावा किया है.
इस पर धवन ने जवाब दिया कि अखाड़े को सिर्फ रामचबूतरे पर पूजा का हक दिया गया था, पूरी जमीन पर मालिकाना हक उन्हें कभी हासिल नहीं था. 1858 में निर्मोही अखाड़े ने भी सिर्फ पूजा का हक मांगा था, वो भी चबूतरे पर. जमीन पर मालिकाना हक का दावा उनकी ओर से कभी नहीं किया गया.
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जिरह के दौरान धवन ने ये भी कहा कि 1858 से पहले के गजेटियर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक खास तरीके से बनाया और उनमें ऐसी चीजें जोड़ी गई जो विवाद की जड़ बनी. आपको बता दें कि हिन्दू पक्ष ने मंदिर की मौजूदगी को साबित करने के लिए कई गजेटियर का हवाला दिया था. धवन ने पी कार्नेगी की ओर से फैजाबाद के ऐतिहासिक स्केच का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि कार्नेगी ने लिखा था कि मुस्लिम मस्जिद के अंदर के हिस्से में नमाज पढ़ते थे तो हिन्दू बाहर पूजा करते थे.
इससे पहले आज सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बाबरी पक्षकार मोहम्मद हाशिम के बेटे इकबाल अंसारी पर हुए हमले का मामला बेंच के सामने रखा. धवन ने कहा- जांच होनी चाहिए या नहीं इस पर उन्हें कुछ नहीं कहना है पर कई बार कोर्ट की एक टिप्पणी भी अहमियत रखती है. चीफ जस्टिस ने आश्वस्त किया कि हम इस पर विचार करेंगे. जो जरूरी होगा, वो किया जाएगा.