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अयोध्या मामला: मस्जिद किसी खाली या खेती की जगह पर नहीं बनाया गया था, SC में बोले रामलला के वकील

वैद्यनाथन ने कहा, 1950 में वहां हुए निरीक्षण के दौरान भी तमाम ऐसी इमेज, स्ट्रक्चर मिले थे, जिनके चलते उसे कभी भी एक वैध मस्ज़िद नहीं माना जा सकता.

Updated on: 16 Aug 2019, 03:48 PM

New Dehi:

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का आज यानी शुक्रवार को सातवां दिन है. रामलला की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एस वैद्यनाथन ने बाबरी मस्जिद के नक्शे और फोटोग्राफ कोर्ट को दिखाए. उन्होंने कहा, खुदाई के दौरान मिले खम्बों में श्री कृष्ण, शिव तांडव और श्री राम के बाल रूप की तस्वीर नज़र आती है. वैद्यनाथन ने कहा, 1950 में वहां हुए निरीक्षण के दौरान भी तमाम ऐसी इमेज, स्ट्रक्चर मिले थे, जिनके चलते उसे कभी भी एक वैध मस्ज़िद नहीं माना जा सकता. किसी भी मस्ज़िद में इस तरह के खम्भे नहीं मिलेंगे. सिर्फ मुस्लिमों ने वहां कभी नमाज़ अदा की, इसके चलते विवादित ज़मीन पर मुस्लिमों का हक़ नहीं बन जाता.

रामलला की ओर सी एस वैद्यनाथन ने कहा,  विवादित ज़मीन पर मुस्लिमों ने कभी नमाज़ पढ़ी हो, इसके चलते उनका ज़मी पर कब्ज़ा नहीं हो जाता. अगर गली में नमाज़ पढ़ी जाती है, तो इसका मतलब ये नहीं कि नमाज़ पढ़ने वालों का गली पर कब्ज़ा हो गया.उन्होंने कहा, विवादित जगह पर भले ही अपने कब्ज़े को सही ठहराने के लिए इसे कभी मस्ज़िद के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो, पर शरीयत कानून के लिहाज से ये कभी वैध मस्ज़िद नहीं रही. वहां मिले स्तम्भों पर मिली तस्वीरे इस्लामिक आस्था और विश्वास के अनुरूप नहीं है. मुस्लिमों की इबादत की जगह पर कभी ऐसी तस्वीर नहीं मिलती. जस्टिस बोबड़े के पूछने पर वैद्यनाथन ने ये बताया कि तस्वीर 1990 में ली गई थी. 

सीएस वैद्यनाथन ने कहा, विवादित जगह पर मस्ज़िद किसी खाली पड़ी या खेती की ज़मीन पर नहीं बनाई गई थी. बल्कि वहां 200ईसा पूर्व एक विशालकाय निर्माण था.  इस पर जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि आपने ये साबित करने की कोशिश की है कि मस्ज़िद ढांचे पर बनाई गई थी, लेकिन ये क्या ढांचा धार्मिक था? सीएस वैद्यनाथन ने इस पर खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को मिले सबूतों का हवाला दिया. उन्होंने कहा, तमाम सबूत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि वो विशालकाय निर्माण राम के जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर था.  जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने इस पर पूछा कि वहां एक कब्र भी पाई गई थी. इसको कैसे समझा जाये? इस पर वैद्यनाथन ने जवाब दिया कि वो कब्र बहुत बाद के(मंदिर से) वक्त की है.