अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाले मध्यस्थ पैनल ने संविधान पीठ को ख़त लिखकर एक हिन्दू और मुस्लिम पक्ष (सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा) द्वारा बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की पेशकश की जानकारी दी है. पैनल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ से इस बारे में निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है.
इस मामले से जुड़े पक्षकारों का कहना है कि ऐसे वक्त में जब अयोध्या मामले को लेकर सुनवाई जारी है, मध्यस्थता के जरिए मामले की सुलझने की उम्मीद करना बेमानी है. नियमों के मुताबिक भी मध्यस्थता और कोर्ट में सुनवाई साथ साथ नहीं चल सकती.
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अयोध्या मामले में सुनवाई का आज 24 वां दिन था. मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा कि श्री रामजन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति का दर्ज़ा नहीं दिया जा सकता. उन्होंने कहा कि रामजन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा देकर उनके जरिए केस दायर करना एक सोची समझी चाल है. हिन्दू पक्ष ये दावा करता रहा है कि श्री रामजन्मस्थान शास्वत काल से है. जाहिर है, ऐसी सूरत में तो उन पर लिमिटेशन ( केस दायर करने की समयसीमा का नियम लागू ही नहीं होगा.
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दूसरी ओर रामलला की ओर से निकट मित्र को केस दायर करने का हक़ नहीं है. अगर केस रामलला की ओर से दायर भी होता तो सिर्फ सेवादार की हैसियत रखने वाले निर्मोही अखाड़े की ओर से होना चाहिए.