अयोध्या मामला: मुकदमा कानून से चलता है, वेद और स्कंद पुराणों के आधार पर नहीं- मुस्लिम पक्ष के वकील
धवन ने कोर्ट से ये भी आग्रह किया कि उन्हें हफ्ते में पांचों दिन, जिरह के बीच ब्रेक दिया जाए. कोर्ट ने कहा, आप शुक्रवार को ब्रेक ले सकते
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई का आज यानी 2 सितंबर को 17वां दिन है. आज से मुस्लिम पक्ष की ओर से राजीव धवन की जिरह शुरू हो गई है. पिछले 16 दिनों में हिन्दू पक्ष की ओर से कई पक्षकारों ने जिरह रखी. हिंदू पक्षकारों ने ASI की रिपोर्ट, तमाम ऐतिहासिक, पौराणिक संदर्भों का हवाला देकर ये साबित करने की कोशिश की कि जिस जगह पर विवादित ईमारत बनाई गई, वहां पहले भव्य राम मंदिर था और जो ईमारत बनाई गई, वो शरीयत क़ानून के मुताबिक मस्जिद नहीं कही जा सकती.
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वहीं राजीव धवन ने अपने जिरह की शुरुआत में कई मौकों पर कोर्ट को परेशान करने और पीएन मिश्रा को लेकर टिप्पणियों को लेकर अदालत से माफी मांगी. धवन ने कोर्ट से ये भी आग्रह किया कि उन्हें हफ्ते में पांचों दिन, जिरह के बीच ब्रेक दिया जाए. कोर्ट ने कहा, आप शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं. मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वो कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि फिर तो आर्यो को लेकर भी जिरह करनी होगी. मैं 1528 से जिरह करने को तैयार हूं , ये साबित करने के लिए कि वहां मस्ज़िद थी. धवन ने एक फैसले का हवाला देते हुए कहा - जहां तक ज़मीन के मालिकाना दावे को लेकर केस का सवाल है, ऐतिहासिक दावों की कोई जगह नहीं है. किसी प्रोपर्टी का लंबे समय तक इस्तेमाल न होने से ज़मीन पर उसका मालिकाना हक खत्म नहीं हो जाएगा.
धवन ने दलील दी कि मुकदमा कानून से चलेगा. वेद और स्कंद पुराण के आधार पर नहीं चलेगा.1858 से पहले के गजेटियर का हवाला गलत है. अंग्रेजों ने लोगों से जो सुना, लिख लिया. उसका मकसद ब्रिटिश लोगों को जानकारी देना भर था. धवन की दलीले जारी है. धवन ने कहा कि मोर, कमल जैसे चिन्ह का मिलना ये साबित नहीं करता कि वहां मंदिर था. हिंदू पक्षकारों ने दलील दी है कि विदेशी यात्रियों ने मस्ज़िद का ज़िक्र नहीं किया. लेकिन मार्को पोलो ने भी तो चीन की महान दीवार के बारे में नहीं लिखा था. ये मामला कानून का है.
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धवन ने शुरू में अदालत को बताया था कि वह अपनी बहस 20 दिनों में पूरी करेंगे. इसका अर्थ यह है कि मामले की दैनिक सुनवाई तकनीकी रूप से सितंबर के अंत तक खत्म होगी. इससे राजनीतिक रूप से विवादास्पद इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक महीने से अधिक का समय मिल जाएगा. वहीं राजीव धवन को दिए गए श्राप देने के मामले में कोर्ट कल सुनवाई करेगा. इस मामले में 88 साल के प्रोफेसर एन षणमुगम ने धवन को 14 अगस्त को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, 'फरवरी 1941 से लेकर अब तक मैं 50 लाख बार गायत्री मंत्र का जाप कर चुका हूं. सितंबर 1958 से लेकर अब तक 27000 बार गीता का दसवां अध्याय पढ़ा है. अपनी इसी जीभ से मैं भगवान के काम में रास्ता रास्ते में अड़चन डालने के लिए आप को श्राप देता हूं कि आपकी जीभ बोलना बंद कर दे. आपके पैर काम करना बंद कर दें. आपकी आंखों की रोशनी चली जाए. आपके कान सुनना बंद कर दें. इसके अलावा संजय कलाल नाम के एक शख्श ने धवन को वाट्सएप मैसेज भेजकर कहा था कि हिन्दू समाज के साथ रहिए, जब आप मरेंगे तो रामनाम सत्य ही कहा जायेगा
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