जानें ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला रोहुला खुमैनी के बारे में
खुमैनी ईरान के सबसे बड़े नेता थे जिन्होंने ईरान में राजनीतिक और धार्मिक बदलाव लाया।
नई दिल्ली:
अयातुल्ला रोहुला खुमैनी की दरगाह पर हमला हुआ है। इस आतंकी हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। खुमैनी ईरान के सबसे बड़े नेता थे जिन्होंने ईरान में राजनीतिक और धार्मिक बदलाव लाया। उन्होंने ईरान की सत्ता संभाली और उसे खुदा की सरकार करार दिया था।
आइये जानते हैं उनके बारे में-
1. अयातुल्ला खुमैनी ईरान के इस्लामी गणतंत्र के संस्थापक और बड़े नेता थे। उनका जन्म 1902 में हुआ था और उनका निधन 1889 मं हुआ। 1979 में उन्होंने ईरान की सत्ता संभाली थी और वो मुस्लिम देशों की दुनिया के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व किया।
2. उन्होंने अपना बचपन इस्लाम और उसकी शिक्षाओं के अध्ययन में लगाया। 6 साल की उम्र में उन्होंने कुरान का अध्ययन शुरू कर दिया था। उनके बड़े भाई ने उन्हें इस्लामी न्याय प्रक्रिया की शिक्षा दी। उन्होंने इस बात पर लगातार जोर दिया कि मौलवियों को राजनीतिक समझ होनी चाहिये।
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3. खुमैनी ने वहां की सरकार को गैर इस्लामी मानते थे। 1962 में उन्होंने शाह की सरकार के खिलाफ जेहाद छेड़ दिया। इस जेहाद से वहां की सरकार के खिलाफ वगावत हो गई जो इरान के इतिहास में एक बड़ी राजनीतिक घटना थी।
4. मोहम्मद रेज़ा शाह के राजनीतिक आंदोलन को 'व्हाइट रिवोल्य़ूशन' नाम दिया गया था। खुमैनी ने उनके इस आंदेलन को मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि ये गैर इस्लामी है।
5. शाह के आने से 1964 में खुमैनी को देश छोड़ना पड़ा। उन्हें अमेरिका विरोधी आंदोलन करने के कारण गिरफ्तार भी किया गया। 1979 तक वो देश के बाहर इराक और फ्रांस में रहे।
6. फरवरी 1979 में खुमैनी वापस ईरान आ गए। उसके दस दिनों बाद ही खुमोनी और उनके समर्थकों ने वहां पर सत्ता हथिया लिया। उसे बाद खुमैनी ईरान के सुप्रीम लीडर बन गए। अपने शासन काल में खुमैनी ने आदर्श इस्लामी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया।
7. उनके शासनकाल में अमेरिका और ईरान के संबंध खराब हुए। खुमैनी समर्थित ग्रुप ने अमेरिका के खिलाफ काम करना शुरू किया। उन लोगों ने अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़ा कर लिया और 444 दिन के बाद बंधकों को छोड़ा।
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8. खुमैनी ने इस्लामी गणतंत्र की स्थापना के लिये कोशिश की और उन्होंने हर उस कोशिश को खत्म किया। 1979 में उन्होंने घोषणा की कि अब 'खुदा का शासन आ गया' है।
9. 1988 में खुमैनी ने इराक के साथ युद्ध रोक दिया। 1989 में उनकी मौत हो गई लेकिन मौत से पहले उन्होंने अली खुमैनी को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था।
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