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...जब वाजपेयी ने अमेरिका की आंखों में धूल झोंककर किया था परमाणु परीक्षण

परीक्षण से पहले वाजपेयी सरकार को इस बात का अंदाजा था कि अगर अमेरिका को इस इस परीक्षण की भनक लगी तो वह इसे रोकने की पूरी कोशिश करेगा।

Updated on: 17 Aug 2018, 08:32 AM

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने साहसिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। करगिल युद्ध, आगरा शिखर सम्मेलन, और परमाणु परीक्षण सहित कई ऐसे फैसले हैं जिसके जरिए अटल बिहारी वाजपेयी ने एक अलग ख्याती प्राप्त की। पोखरण परमाणु परीक्षण वाजपेयी के कार्यकाल की बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। साल 1998 में 2 दिन के अंतराल में 5 परमाणु परीक्षण करके अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने दुनिया को चौंका दिया था। इस परीक्षण के बाद कई देशों ने मिलकर भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था।

साल 1998 में किया गया यह परीक्षण दूसरा परीक्षण था। दुनिया के कई देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान के विरोध के बावजूद वाजपेयी ने परमाणु संपन्‍नता का उदाहरण दुनिया के सामने पेश किया था। हालांकि इससे पहले 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया गया था।

परीक्षण से पहले वाजपेयी सरकार को इस बात का अंदाजा था कि अगर अमेरिका को इस इस परीक्षण की भनक लगी तो वह इसे रोकने की पूरी कोशिश करेगा। अमेरिका को इस बात की भनक न लगे इसके लिए परीण से जुड़े इंजिनियर्स को भी सेना की वर्दी में ही वहां भेजा गया था।

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मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों को भी सेना की ही वर्दी में ही भेजा गया था। अमेरिकी सेटेलाइट से परीक्षण को बचाने के लिए कई तरह के सैनिक उपाय किए गए थे। भारतीय सेना की 58वीं इंजिनियर रेजिमेंट को इस मिशन की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी।

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यह रेजिमेंट 1995 से ही इस मिशन में जुटी थी कि कैसे अमेरिकी सेटेलाइट को चकमा दिया जा सके। परीक्षण के लिए बातचीत में भी कोड का इस्तेमाल किया जा रहा था।

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परीक्षण सफल होने के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने इस बात की घोषणा की थी कि भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया है।