उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा समेत पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। किस पार्टी का कहां कब्जा होगा ये तो 11 मार्च को पता चलेगा लेकिन इसबार चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों पर चुनाव आयोग की पैनी नजर है।
कई बार ऐसी खबरें भी आई हैं कि चुनाव में खड़े उम्मीदवारों पर लाखों रु का पानी बिल, टेलीफोन बिल, घर का किराया बकाया रह जाता है और वो चुनाव में खड़े हो जाते हैं।
इसी को लेकर ईसी ने इस बार चुनाव में अपना भाग्य अजमाने वाले उम्मीदवारों को अपने नामांकन के साथ अलग से एक एफिडेविट आयोग में जमा कराने का निर्देश दिया है। इसमें उन्हें बताना होगा कि उनपर किसी भी विभाग या किसी भी सेवा का कोई भी बिल बकाया नहीं हैं।
जानिए उम्मीदवारों को देनी होगी और कौन सी जानकारी
1. एफिडेविट में उम्मीदवार को ये साफ करना होगा कि उसपर कोई बिजली बिल, पानी बिल, घर का किराया, या फोन का कोई भी बिल बकाया नहीं है।
2.ये फैसला चुनाव आयोग ने साल 1998 के चुनावी उम्मीदवनार के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश को लेकर किया है।
3.इस एफिडेविट में उम्मीदवार को पिछले दस साल में किसी भी बिल के बकाया नहीं होने की जानकारी देनी होगी।
4.ये जानकारी उम्मीदवारों को फॉर्म 26 के तहत देनी होगी।
5. उम्मीदवारों को ये एफिडेविट नॉटरी या फिर फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट से अटेस्टेड कराकर चुनाव आयोग में देना होगा।
6.ये नियम विधानसभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवारों पर लागू होगा।
चुनाव आयोग ने ये फैसला लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के सेक्शन 36 के तहत किया है। उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में मणिपुर में 2 चरणों में और बाकी राज्यों में एक चरण में विधानसभा चुनाव होंगे।
Source : News Nation Bureau