असम: बाराक घाटी के हिंदू बांग्लादेशियों में खुशी का माहौल

बाराक घाटी के बंगाली प्रभुत्व वाले कछार, करीमगंज और हिलाकंडी जिलों में बांग्लादश से आए हिन्दू प्रवासी रहते हैं. उन्होंने बातचीत करते हुए संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने पर खुशी जाहिर की.

बाराक घाटी के बंगाली प्रभुत्व वाले कछार, करीमगंज और हिलाकंडी जिलों में बांग्लादश से आए हिन्दू प्रवासी रहते हैं. उन्होंने बातचीत करते हुए संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने पर खुशी जाहिर की.

author-image
Sunil Chaurasia
New Update
असम: बाराक घाटी के हिंदू बांग्लादेशियों में खुशी का माहौल

बराक घाटी में नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में लोग( Photo Credit : सोशल मीडिया)

असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बाराक घाटी के तीन बंगाली प्रभुत्व वाले जिलों का नजारा कुछ अलग है. वहां लोग इस विवादित विधेयक के पारित होने के बाद भारत की नागरिकता मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. बाराक घाटी के बंगाली प्रभुत्व वाले कछार, करीमगंज और हिलाकंडी जिलों में बांग्लादश से आए हिन्दू प्रवासी रहते हैं. उन्होंने बातचीत करते हुए संसद द्वारा विधेयक पारित किए जाने पर खुशी जाहिर की और उम्मीद जताई कि अब उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी, जिसका वे अरसे से इंतजार कर रहे थे और वे बिना देश के नहीं रहेंगे.

Advertisment

ये भी पढ़ें- यहां धरती के नीचे मौजूद हैं 60 लाख लोगों की हड्डियां, इकट्ठा करने में लगे थे 10 साल

वहां रहने वाले अधिकतर लोग धार्मिक अत्याचारों की वजह से बांग्लादेश से भागकर आए थे और भारत में शरण ली थी. करीमगंज में रहने वाले भोला ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें बांग्लादेश के नोअखाली जिले के बेगमगंज का अपना घर छोड़ने को इसलिए मजबूर होना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी, क्योंकि उन पर अपनी बेटी की शादी मुस्लिम शख्स से करने का दबाव था और उन्होंने इससे इनकार कर दिया था.

ये भी पढ़ें- 13 साल से शख्स के फेफड़े से आ रही थी सीटी की आवाजें, डॉक्टरों ने 20 मिनट के ऑपरेशन में पाई सफलता

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दो बेटियां और एक बेटा है. वह शख्स मेरी 16 साल की बेटी से शादी करना चाहता था. मैंने अपनी अनुमति देने से इनकार कर दिया और उसी रात उसने और कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने मेरे घर पर हमला किया. हम जंगल में छुपने के लिए मजबूर हुए.. किसी ने भी मेरे परिवार को शरण नहीं दी और हमें भारत आने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’

ये भी पढ़ें- क्या झूठा बहाना बनाकर टीम से बाहर हुए Hassan Ali, पाकिस्तानी गेंदबाज ने News State को दिया जवाब

उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार के साथ त्रिपुरा होते हुए करीमगंज आए. भोला ने कहा, ‘‘अब मेरे परिवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक बचा सकता है और हमें भारत की नागरिकता मिल सकती है. मेरा परिवार बहुत खुश है.’’ करीमगंज के रहने विश्वजीत नाथ ने कहा कि वह यही पैदा हुए थे लेकिन उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की अंतिम सूची में नहीं है. उन्होंने कहा कि हमने सारे जरूरी दस्तावेज दिए थे फिर भी नाम नहीं आए. नाथ ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से हमें भारत की नागरिकता मिल सकती है.

Source : Bhasha

CAB Assam News assam Citizenship Amendment Bill Assam Cab barak valley
      
Advertisment