मदरसों को हाई स्कूल में बदलने की तैयारी में असम सरकार, जानें वजह
असम मंत्री एसबी शर्मा ने खुद इस बात की पुष्टी की है. उन्होंने कहा, हमने सभी संस्कृत स्कूलों और मदरसों को हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में बदलने का फैसला लिया है.
नई दिल्ली:
असम के सभी मदरसों और संस्कृति स्कूलों को राज्य सरकार हाई स्कूल और सेंकेंडरी हाई स्कूल में बदलने की तैयारी में है. असम मंत्री एसबी शर्मा ने खुद इस बात की पुष्टी की है. उन्होंने कहा, हमने सभी संस्कृत स्कूलों और मदरसों को हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल में बदलने का फैसला लिया है. इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा, सरकार धार्मिक संस्थानों को फंड नहीं कर पा रही है, इसी के चलते ये फैसला लेना पड़ा है. हालांकि, गैर सरकारी संगठनों/सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित मदरसे जारी रहेंगे, लेकिन एक नियामक ढांचे के भीतर.
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HB Sarma, Assam Minister: We have decided to convert all Madrasas and Sanskrit tols(schools) to high schools and higher secondary schools, as the state can't fund religious institutions. However, Madrasas run by NGOs/Social orgs will continue but within a regulatory framework pic.twitter.com/c3DKQzEMfu
— ANI (@ANI) February 13, 2020
वहीं दूसरी तरफ खबर आई थी कि असम राज्य में मूल मुस्लिम आबादी की पहचान करने और उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों से अलग करने की कवायद के तहत एक सर्वेक्षण कराने की योजना बना रहा है हालांकि राष्ट्रीय नागरिक पंजी की सटीकता को लेकर संदेहों का निवारण अभी नहीं हो सका है. योजना के तहत यह सर्वेक्षण चार समुदाय के लोगों की पहचान करने के लिए है. यह चार सुमदाय हैं गोरिया, मोरिया,देसी और जोलाह. इन्हें राज्य का मूल निवासी माना जाता है. असम के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रंजीत दत्ता ने चार समुदायों के विभिन्न संगठनों तथा अन्य पक्षकारों की मंगलवार को एक बैठक बुलाई है. जिसमें इस योजना के अंतिम रूप दिया जाएगा.
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असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के अध्यक्ष मूमिनुल ओवाल ने बातचीत में कहा,' असम में कुल 1.3 करोड़ मुस्लिम आबादी है जिनमें से करीब 90 लाख बांग्लादेशी मूल के हैं. शेष 40 लाख विभिन्न जनजातियों से हैं और उनकी पहचान करना जरूरी है.' उन्होंने कहा कि बिना सही पहचान के मूल मुस्लिम आबादी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं रहा है.
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