logo-image

सेना में 30 सालों तक मोहम्मद ने किया काम, लेकिन एनआरसी में नाम नहीं

भारतीय सेना में रिटायर होने से पहले तक जेसीओ के तौर पर 30 सालों तक सेवा दे चुके हक और उनके परिवार का नाम हाल ही में जारी किए गए एनआरसी में शामिल नहीं हैं।

Updated on: 02 Aug 2018, 08:08 AM

गुवाहाटी:

असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में कई ऐसे लोगों का नाम शामिल नहीं है जो देश के अंदर विभिन्न सेवाओं में दशकों तक कार्यरत रह चुके हैं। भारतीय सेना में 30 सालों तक अपनी सेवा दे चुके मोहम्मद ए हक भी उन्हीं लोगों तक शामिल हैं।

भारतीय सेना में रिटायर होने से पहले तक जूनियर कमिश्न्ड ऑफिसर (जेसीओ) के तौर पर 30 सालों तक सेवा दे चुके हक और उनके परिवार का नाम हाल ही में जारी किए गए एनआरसी में शामिल नहीं हैं।

मोहम्मद ए हक ने कहा, 'मैंने भारतीय सेना में 30 सालों तक सेवा की है। मैं वाकई बहुत दुख हूं कि मेरा नाम एनआरसी सूची में शामिल नहीं है। मैंने प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा की। मेरे पास मां-बाप के वसीहत के रिकॉर्ड हैं। जांच निष्पक्ष और दोस्ताना तरीके से होनी चाहिए।'

मोहम्मद ने भारतीय सेना में सितंबर 1986 से सितंबर 2016 तक सेवा की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि सरकार उनकी और उनके परिवार की मदद करेगी।

बता दें कि एनआरसी की सूची में भारत के पांचवे राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम शामिल नहीं किया गया है।

पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे जियाउद्दीन अली अहमद ने कहा था, 'मेरा नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं है। मेरे पिता (एकरामुद्दीन अली अहमद) ने लेगेसी डेटा दस्तावेज जमा नहीं करवाया था। हम अपने चाचा (फखरुद्दीन अली अहमद) के परिवार के संपर्क में हैं।'

30 जुलाई को जारी किए एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में असम के 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है। हालांकि अभी वह अपनी दावेदारी और आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। एनआरसी की अंतिम सूची 31 दिसंबर को जारी की जाएगी।

और पढ़ें: NRC में नाम नहीं फिर भी बने रहेंगे वोटर, आखिर EC ने क्यों कहा ऐसा? 

असम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट के मुताबिक आवेदन किए गए कुल 3.29 करोड़ लोगों में 2,89,83,677 लोगों को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में शामिल किया गया है।

एनआरसी जारी होने के बाद केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

एनआरसी का पहला ड्राफ्ट 1 जनवरी 2018 को जारी किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 1.9 करोड़ लोगों को नागरिकता मिली थी।

एनआरसी में सभी भारतीय नागरिकों के नाम उनके पते और फोटोग्राफ के साथ शामिल हैं, जो असम में 25 मार्च 1971 के पहले से रह रहे हैं यानी जिनके पास उनके या उनके परिवार के इस तारीख से पहले से रहने के सबूत हैं।

और पढ़ें: SC/ST एक्ट पर संशोधन बिल लाएगी मोदी सरकार, दलित सांसद बना रहे थे दबाव