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महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट, हम सही समय पर लेंगे फैसला, बोले कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण

कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि अगर शिवसेना संपर्क करती है तो एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की दिशा में कोशिश की जा सकती है. इसी के तहत शुक्रवार को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की.

Updated on: 01 Nov 2019, 05:14 PM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (Shiv Sena) गठबंधन को बहुमत तो मिल गया, लेकिन अभी तक सरकार नहीं बन पाई है. शिवसेना (Shiv Sena) मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी हुई है, वहीं ज्यादा सीटें लाने वाली बीजेपी (BJP) सीएम की कुर्सी में कोई हिस्सेदारी देने को तैयार नहीं हो रही है. इस बीच एनसीपी (NCP) किंगमेकर की भूमिका में आती दिखाई दे रही है. शुक्रवार को शिवसेना नेता संजय राउत राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के शरद पवार से मुलाकात कर इस बात के संकेत दे दिए कि अगर बीजेपी उसकी मांग नहीं मानती है तो उसके दरवाजे किसी और के लिए खुल सकते हैं.

इधर, कांग्रेस ने पहले ही साफ कर दिया है कि अगर शिवसेना संपर्क करती है तो एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की दिशा में कोशिश की जा सकती है. इसी के तहत शुक्रवार को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने की. मुलाकात के बाद अशोक चव्हाण (Ashok Chavan) ने कहा, 'बीजेपी सहयोगियों से अपने वादे को निभाने में विफल रही और यही महाराष्ट्र में सियासी संकट का कारण बना. हम इंतजार कर रहे हैं और स्थिति देख रहे हैं, और हम सही समय पर फैसला लेंगे.'

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अगर शिवसेना, एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की दिशा में कोशिश करती है तो बिना कांग्रेस के ऐसा मुमकिन नहीं होगा. शिवसेना और एनसीपी की सरकार तभी बनेगी जब कांग्रेस भी इस गठबंधन को समर्थन दें.

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटे हैं. किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की आवश्यकता है. बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को बहुमत से ज्यादा सीटें मिली हैं. लेकिन अगर एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाती है तो बहुमत के आंकड़े को नहीं पा सकती है. इसलिए 44 सीट जीतने वाली कांग्रेस का समर्थन जरूरी होगा.

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हालांकि गुरुवार को संजय राउत ने एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात को लेकर साफ कर दिया था कि ये मुलाकात गैर-राजनीतिक थी. दिवाली की बधाई देने के लिए वो शरद पवार से मिले थे.

लेकिन कहते हैं ना कि राजनीति में कब दोस्त दुश्मन और कब दुश्मन दोस्त बना जाए. महाराष्ट्र में इस वक्त की सियासी समीकरण कुछ ऐसी ही बनती नजर आ रही है. महाराष्ट्र समेत पूरे देश की निगाहें टिकी हैं कि यहां की कुर्सी पर कौन विराजमान होगा. क्या बीजेपी 50-50 फॉर्म्यूले पर राजी होती है या फिर शिवसेना की राह अलग हो जाएगी.