रेप के आरोप में जेल में बंद कथित धर्मगुरु आसाराम पर बुधवार को जोधपुर की अनुसूचित जाति और जनजाति कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषी करार दिया है। जोधपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और कई जगह धारा 144 लागू की गई है।
हिंसा की आशंका को लेकर केंद्र सरकार ने राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का निर्देश दिया, क्योंकि इन तीन राज्यों में आसाराम के प्रशंसकों की संख्या काफी ज्यादा है। आइये जानते हैं इस केस से जुड़ी खास बातें...
आसाराम पर उनके आश्रम में आने वाली लड़कियों ने ही रेप के आरोप लगाए हैं, जिसकी वजह से आसाराम के साथ-साथ उनके बेटे नारायण साईं भी जेल गए। आसाराम 2013 से जेल में बंद हैं।
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क्या है जोधपुर मामला?
साल 2013 में यूपी की एक 16 साल की लड़की ने आसाराम पर उनके जोधपुर आश्रम में रेप करने का आरोप लगाया था। इस मामले में दिल्ली के कमला मार्केट थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराया गया था। फिर इस केस को जोधपुर ट्रांसफर कर दिया गया।
गुजरात रेप मामला
2013 में आसाराम को जोधपुर केस में गिरफ्तार कर लिया गया। इसके दो महीने बाद ही गुजरात के सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं पर रेप का आरोप लगाया। बड़ी बहन की शिकायत के मुताबिक, साल 2001 से 2006 तक आसाराम ने कई बार उसका यौन शोषण किया। छोटी बहन ने नारायण साईं पर रेप का आरोप लगाया। दिसंबर 2013 में नारायण साईं को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
नौ गवाहों पर हो चुके हैं जानलेवा हमले
आसाराम मामले में नौ गवाहों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं। इनमें दो की मौत हो चुकी है। पीड़िता के पिता को भी शाहजहांपुर और जोधपुर में टारगेट बनाया जा चुका है। जिन पर हमले हुए हैं, उनका ब्योरा इस तरह है...
1-वैद्य अमृत प्रजापति की अहमदाबाद में मई, 2014 में गोली लगने से मौत।
2- गवाह अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर मौत।
3- राहुल सचान को फरवरी 2015 मे जोधपुर में गवाही के दौरान चाकुओं से गोदा, लेकिन खुशकिस्मती से जान बची।
4- पानीपत के महेंद्र चावला को मई 2015 में गोली मारी।
5- कृपाल सिंह को 9 जुलाई, 2015 को गोली मारी।
6- सूरत में पीड़िता के पति विमलेश ठक्कर पर हमला।
7- महिला गवाह के पति राकेश पटेल पर सूरत में हमला।
8- गवाह दिनेश भाग चंदानी पर हमला।
9- गवाह राजू पर हमला।
इस केस में चार सह आरोपियों पर है ये आरोप
# हॉस्टल वार्डन शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता: भूत-प्रेत का भय दिखाया। छात्रा को दुष्प्रेरित कर आसाराम के पास भेजा।
# हॉस्टल संचालक शरदचन्द्र उर्फ शरतचन्द्र: बीमारी का पता चलने पर भी इलाज नहीं कराया। पूरी रात अनुष्ठान कराया और आसाराम को ही एकमात्र उपचारकर्ता मानने पर मजबूर किया।
# प्रमुख सेवादार शिवा उर्फ सेवाराम: छात्रा को शाहजहांपुरा से दिल्ली और दिल्ली से जोधपुर बुलाया। मणाई आश्रम में आसाराम से मिलाने की व्यवस्था की।
# रसोइया प्रकाश द्विवेदी: शरद, शिल्पी, शिवा और आसाराम के बीच मध्यस्थ बना। छात्रा के परिजनों को जाने का कह कर छात्रा के अकेली रहने की स्थिति पैदा की।
जेल से बाहर आने की कई बार की कोशिश
आसाराम ने 2017 में फर्जी मेडिकल रिपोर्ट देकर बाहर आने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। राजस्थान हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी जमानत की अर्जियां लगाई गईं, लेकिन कहीं भी सफलता नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
वहीं मामले की धीमी सुनवाई के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार भी लगाई थी। इस मामले में अंतिम सुनवाई एससी/एसटी की विशेष अदालत में सात अप्रैल को पूरी हुई थी। अदालत ने फैसले को सुरक्षित रखते हुए 25 अप्रैल को सुनाने की बात कही थी।
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Source : News Nation Bureau