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अरुण जेटली के पिता भी थे नामी वकील, दोनों बच्चे भी हैं वकील, जानें उनके बारे में 10 मुख्य बातें

अरुण जेटली पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की छात्र ईकाई अखिल भारतीय छात्र संघ (All India Students Union) से जुड़े और विभिन्न भूमिकाओं में राजनीति में आगे बढ़ते गए.

Updated on: 24 Aug 2019, 01:48 PM

नई दिल्ली:

बीजेपी के कद्दावर नेता और प्रखर वकील रहे पूर्व मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) शनिवरा को दिल्ली के एम्स (AIIMS) में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. अरुण जेटली पढ़ाई के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) की छात्र ईकाई अखिल भारतीय छात्र संघ (All India Students Union) से जुड़े और विभिन्न भूमिकाओं में राजनीति में आगे बढ़ते गए. हमें उनके बारे में ये दस बातें जरूर जाननी चाहिए.

1. बनना चाहते थे चार्टर्ड अकाउंटेंट

अरुण जेटली चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं कर पाए तो उन्होंने कानून की पढ़ाई की. उन्होंने 1987 से अपनी वकालत का करियर शुरू किया. पिछले तीन दशकों से उनकी गिनती देश के बड़े वकीलों में की जाने लगी थी.

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2. पिता भी थे बड़े वकील

अरुण जेटली के पिता भी दिल्ली के जाने माने वकील थे. अरुण दिल्ली के जाने माने सेंट जेवियर स्कूल में पढ़े फिर उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स की डिग्री थी. 1977 में उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की.

3. आपातकाल के समय रहे नजरबंद

कॉलेज के दौरान ही वो छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए. वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष भी रहे. लेकिन इसके बाद भी पढ़ाई में वो हमेशा अच्छे नंबर लाने वाले स्टूडेंट रहे. इसी दौरान जब आपातकाल लगा तो उन्हें 19 महीने के लिए नजरबंद कर दिया गया. लेकिन जैसे ही उन्हें इससे रिहा किया गया, उन्होंने जनसंघ की सदस्यता ले ली.

4. 1990 में पहली बार आए मीडिया की नजर में

जेटली ने सुप्रीम कोर्ट और देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की. 1990 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट की मान्यता दे दी. वो पहली बार मीडिया में सुर्खियों में तब आए जब वीपी सिंह सरकार ने उन्हें एडिशनल सालिसिटर जनरल नियुक्त किया और उन्होंने बोफोर्स घोटाले का पेपरवर्क किया.

5. कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया का भी लड़ा था केस

जेटली के क्लाइंट में हर पार्टी के लोग थे. साथ ही बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी. उन्होंने जनता दल के शरद यादव से लेकर कांग्रेस के माधवराव सिंधिया और बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी तक का केस लड़ा. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में पेप्सी का मुकदमा भी लड़ा. बाद में कोकाकोला कंपनी ने भी अपने एक मामले में उन्हें वकील बनाया. 2009 में वो जब राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने तब उन्होंने प्रैक्टिस करना बंद कर दिया.

6. कई मंत्रालयों में दी सेवाएं

जेटली पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे. इसके बाद वो नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री बनाये गए. उन्होंने कई मंत्रालयों में अपनी सेवाएं दीं.

7. दोनों बच्चे हैं वकील

अरुण जेटली ने संगीता डोगरा से शादी की, वो जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री गिरधारी लाल डोगरा की बेटी हैं. उनके एक बेटा रोहन और एक बेटी सोनाली हैं, दोनों वकील हैं. अरुण जेटली के दो भाई हैं.

8. दिल्ली में हुआ था जन्म

उनका जन्म 28 दिसंबर 1952 को दिल्ली में हुआ. वो 66 साल के थे.

9. कभी लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए

जेटली ने भारतीय जनता पार्टी में कई अहम पदों पर काम किया. वो राज्यों के पार्टी प्रभारी रहे. कई राज्यों में चुनाव अभियान का संचालन किया लेकिन वो कभी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाए. वो चार बार संसद पहुंचे और तीनों ही बार राज्यसभा के जरिए. वर्ष 2000 में वो पहली बार गुजरात से राज्यसभा में चुनकर आए. उसके बाद 2018 तक गुजरात से ही राज्यसभा में पहुंचते रहे. लेकिन 2018 में वो उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में पहुंचे.

10. दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे

अरुण जेटली देश के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट में प्रशासक के रूप में भी जुड़े रहे. वो दिल्ली जिला क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे. साथ ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष रहने के साथ इंडियन प्रीमियर लीग की गर्वनिंग काउंसिल में भी रहे.