वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर से लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ होने की बात कही है।
शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलेत हुए जेटली ने कहा कि हर साल 2-3 चुनाव होते हैं इससे सरकार चलानें में दिक्कत आती है और साथ ही अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी बढ़ता है।
ऐसे में अगर दोनो चुनाव एक साथ कराया जाए तो केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए फ़ायदेमंद होगा।
अरुण जेटली ने कहा, 'हर साल दो तीन चुनाव होते हैं जिससे गवर्नेंस और खर्च दोनो पर फर्क पड़ता है। वहीं अगर 5 साल में एक बार चुनाव होता है तो राज्य और केंद्र दोनो सरकार के लिए शासन चलाने में सहूलियत होगी। साथ ही पॉलिसी बनाने में भी कम खर्च आएगा।
वहीं विलफुल डिफॉल्ट (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाली कंपनियां) को देश के लिए ख़तरा बताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'ऐसे लोग असफल बिज़नेसमैन और बैंक धोखाधड़ी गतिविधियों से भी ज़्यादा ख़तरनाक है। समय-समय पर इस तरह की घटनाएं सरकार द्वारा इज़ ऑफ़ डुइंग जैसे प्रयास को पीछे ढकेल देती है और आर्थव्यवस्था पर धब्बा बनकर सामने आ जाती है।'
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वित्त मंत्री ने कहा, 'यदि बैंकिंग सिस्टम या बैंक के किसी शाखा में धोखाधड़ी का मामला सामने आया और उसे किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की तो यह देश के लिए चिंता की बात है। इसी प्रकार अगर टॉप मैनेजमेंट और ऑडिटिंग सिस्टम ने लापरवाही की है तो यह भी चिंता की स्थिति है।'
उन्होंने आगे कहा, 'रेगुलेटर्स (नियम बनाने वाले) के पास काफी महत्वपूर्ण काम होता है। रेगुलेटर्स को आख़िरकार गेम के रुल भी तय करने होते हैं और सदैव अपनी तीसरी आंख खोलकर रखनी होती है। दुर्भाग्य से भारतीय व्यवस्था में सिर्फ राजनीतिज्ञों के लिए जवाबदेही है रेगुलेटर्स के लिए नहीं।'
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Source : News Nation Bureau