गुजरात दंगों के दाग धोने में भी मोदी-शाह के तारणहार बने थे अरुण जेटली
एक तरह से अरुण जेटली को नरेंद्र मोदी का 'चाणक्य' भी कह सकते हैं, जो 2002 से मोदी-शाह के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे.
highlights
- नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर गुजरात दंगों का दाग धोने में मददगार बने जेटली.
- अमित शाह को कई मौकों पर राजनीतिक और व्यक्तिगत हमलों से बचाया.
- नरेंद्र मोदी के दिल्ली के सफर का रास्ता भी तैयार किया था जेटली ने.
नई दिल्ली.:
अरुण जेटली अपने संपर्क सूत्रों और तथ्यात्मक जानकारियों की वजह से सर्वसम्मति बनाने में भी महारत रखते थे. एक तरह से अरुण जेटली को नरेंद्र मोदी का 'चाणक्य' भी कह सकते हैं, जो 2002 से मोदी-शाह के लिए मुख्य तारणहार साबित होते रहे. नरेंद्र मोदी तब मुख्यमंत्री थे और उनपर गुजरात दंगे के काले बादल मंडरा रहे थे. गुजरात दंगों की आंच गुजरात के तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अमित शाह से होते हुए मोदी की छवि को भी झुलसा रही थी.
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शाह के गुजरात से 'वनवास' में 'लक्ष्मण' साबित हुए थे अरुण जेटली
ऐसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली न सिर्फ मोदी, बल्कि उनके सबसे करीबी और विश्वस्त अमित शाह के लिए भी गुजरात दंगों के दाग हटाने में मददगार साबित हुए थे. यह वह दौर था जब अमित शाह को दंगों की निष्पक्ष जांच के नाम पर गुजरात से बाहर कर दिया गया था. उस समय शाह का अधिकांश समय दिल्ली में बीतता था. उसमें भी अमित शाह अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी दफ्तर में देखा जाता था. इसके अलावा संसद में भी शाह पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के चैंबर में देखे जाते थे. माना जाता था कि जेटली के भीतर विराजमान प्रखर अधिवक्ता के ही तर्क ने शाह को राजनीतिक और कानूनी स्तर पर राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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वाजपेयीजी के क्रोध से बचाया था मोदी को
यही नहीं बीजेपी के पुरौधा अटल बिहारी वाजपेयी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री बतौर नरेंद्र मोदी को 'राजधर्म' याद दिलाया था, तो उस वक्त भी अरुण जेटली ही थे, जिन्होंने मोदी के प्रति अटल बिहारी वाजपेयी के गुस्से को कम किया था. यही नहीं, नरेंद्र मोदी को 2014 में भाजपा के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की औपचारिक घोषणा से पहले के कुछ महीनों में, जेटली ने राजनाथ सिंह, शिवराज सिंह चौहान और नितिन गडकरी को साथ लाने के लिए पर्दे के पीछे बहुत चौकस रह कर काम किया.
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