17 साल से लटके 'वन टैक्स, वन नेशन' (GST) को लागू कराने में अरुण जेटली का था सबसे बड़ा हाथ
वस्तु एवं सेवा कर (GST)को लागू हुए 1 जुलाई 2019 को दो साल पूरे हो गए, देश में टैक्स सुधार के लिए GST को लागू किया गया
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का आज 24 अगस्त (शनिवार) को निधन हो गया है. वे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (AIIMS) में पिछले कई दिनों से भर्ती थे. उन्होंने एम्स में आखिरी सांस ली. जब वह बीमार थे तो उनसे मिलने बीजेपी के कई दिग्गज नेता एम्स पहुंचे थे. अरुण जेटली मोदी कैबिनेट प्रथम में वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री रहे. वित्त मंत्री का पूरा कार्यकाल उन्होंने पूरा किया. कुछ समय के लिए वे रक्षा मंत्री भी रहे. वित्त मंत्री कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े काम किए. जिसमें Good and services Tax (GST) अर्थात वस्तु एवं सेवा कर को लागू कराया.
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17 साल से लटके वन टैक्स वन नेशन का सपना पूरा करने में मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली का सबसे बड़ा हाथ रहा. GST को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था. मध्य रात्रि सेंट्रल हॉल में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने घंटा बजाकर इसका उद्घाटन किया था. जीएसटी लागू होने से पहले जेटली ने सदन में भाषण दिया था. इस दौरान उन्होंने जीएसटी के सफर के बारे में भी जानकारी दी थी. वस्तु एवं सेवा कर (GST)को लागू हुए 1 जुलाई 2019 को दो साल पूरे हो गए. देश में टैक्स सुधार के लिए GST को लागू किया गया. इसको लेकर देश में लंबे समय से बहस छिड़ी रही. आज भी इसकी सफलता और असफलता को लेकर चर्चा होती रहती है. जीएसटी को लागू करने में अहम भूमिका निभाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी के दो साल पूरे होने पर ब्लॉग लिखकर इसके महत्व पर प्रकाश डाला था.
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग में लिखा कि संघीय संरचना में केंद्र और राज्य दोनों सरकारें वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाती थीं. राज्यों के पास कई कानून थे, जो उन्हें अलग-अलग बिंदुओं पर कर लगाने का हक देते थे. ऐसे में जीएसटी लागू करने की राह में बड़ी चुनौतियां थीं. सबसे पहली चुनौती थी राज्यों को सहमत करने की. क्योंकि उन्हें लगता था कि जीएसटी लागू होने के बाद वे कर लगाने की अपनी स्वायत्तता खो देंगे. दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी संसद में इसको लेकर सहमति बनाने की. राज्यों की चिंताएं दूर कर उन्हें सहमत कर लिया गया. हालांकि उन्होंने कहा कि यह लागू करना आसान नहीं था.
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जीएसटी लागू होने पर टैक्स से जुड़े सभी 17 तरह के कानून एक में मिल गए. इस प्रकार देश में सिंगल टैक्सेसन की व्यवस्था लागू हो सकी. पहले वैट शुल्क 14.5 प्रतिशत, उत्पाद शुक्ल12.5 प्रतिशत देना पड़ता था. सभी करों को मिलाकर उपभोक्ताओं को 31 प्रतिशत टैक्स अदा करना पड़ता था. कई रिटर्न दाखिल करने पड़ते थे. कई इंस्पेक्टर्स की भी जांच होती है. मगर जीएसटी ने इस पूरे परिदृश्य को बदल दिया. आज केवल एक कर है, ऑनलाइन रिटर्न की सुविधा है. दो साल के बाद बिना किसी विरोधाभास के कहा जा सकता है कि जीएसटी उपभोक्ताओं के अनुकूल है.
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