Advertisment

गुलामी के बावजूद भारत अपने ज्ञान को बचाने और उसकी रक्षा में सक्षम रहा: आरिफ मोहम्मद खान

गुलामी के बावजूद भारत अपने ज्ञान को बचाने और उसकी रक्षा में सक्षम रहा: आरिफ मोहम्मद खान

author-image
IANS
New Update
Arif Mohammad

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

गुलामी की लंबी अवधि के बावजूद, भारत प्राचीन काल के अपने ज्ञान को बचाने और उसकी रक्षा करने में सक्षम रहा है। यह बात दिल्ली विश्वविद्यालय पहुंचे केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कही। धर्म पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ बहुत ही व्यापक है, लेकिन इसकी व्याख्या हमेशा गलत तरीके से केवल रिलिजन के रूप में की गई। रिलिजन को ही पहचान चिन्ह मान लिया गया, जोकि समस्याएं पैदा करता है। इसे ठीक करने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने शिक्षाविदों से बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाएं और शिक्षक वर्ग इस ²ष्टिकोण को बदलने में मुख्य दायित्व निभा सकते हैं।

उन्होंने यहां दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रों को शिक्षा और संस्कृति के मेल का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्ति को सशक्त बनाती है, लेकिन यह संस्कार हैं जो ज्ञान का उपयोग दूसरों के लाभ के लिए करने हेतु निर्देशित करते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में केरल के राज्यपाल ने कहा कि कि शिक्षा ही व्यक्ति को ज्ञान देती है लेकिन सच्चे अर्थों में विद्वान वही होता है जिसके पास मूल्यों का बोध है।

यहां दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों एवं प्रोफेसर्स से केरल के राज्यपाल ने कहा कि गुलामी की लंबी अवधि के बावजूद, भारत प्राचीन काल के अपने ज्ञान को बचाने और उसकी रक्षा करने में सक्षम रहा है। विवेकानंद और रविंद्र नाथ टैगोर के समय से ही हमारे लोकाचार और मार्गदर्शक सिद्धांत, जो हमारी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दशार्ते हैं, एक समावेशी भारत के विचार की ओर इंगित करते रहे हैं। उन्होंने विवेकानंद के विचारों का विश्लेषण करते हुए कहा कि आनंद जीवन का मूल नहीं है, बल्कि जीवन का लक्ष्य ज्ञान की खोज है।

जीवन में शिक्षा को परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली उपकरण बताते हुए मोहम्मद खान ने कहा कि शिक्षा ही जीवन में परिवर्तन ला सकती है। जीवन का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना होना चाहिए और ज्ञान का उद्देश्य सेवा एवं विविधता में एकता का विकास करना है।

उन्होंने कहा कि लोगों के बीच जातिवाद और अलगाव भावना को खत्म करके सामुहिक भावना से मानवता की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे शिक्षा में जुट जाएं, बाकि सब खुद आता जाएगा। शिक्षा ही आपको सशक्त बनाएगी। शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि त्याग और मानवता की सेवा की अनुभूति ज्ञान से ही होती है और विद्वान वही होता है जिसके पास इन मूल्यों का सही बोध होता है।

आरिफ मोहम्मद खान दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा स्वराज से नव-भारत तक विचारों का पुनरावलोकन विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इससे पहले इस संगोष्ठी का आरंभ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment