कोरोना की दूसरी लहर में परिजनों को खोने के बाद कुछ लोग उनको याद करके मना रहे दीवाली
कोरोना की दूसरी लहर में परिजनों को खोने के बाद कुछ लोग उनको याद करके मना रहे दीवाली
नई दिल्ली:
कोरोना की दूसरी लहर ने कई लोगों की जिंदगी उजाड़ दी। अपने पति को याद करते हुए नीलम नम आंखों से बताती हैं, दीवाली ही नहीं जितने भी त्यौहार अब आएंगे, वह सभी मनाना हमारे लिए बेहद मुश्किल होंगे। उनके बिना घर अधूरा है, मेरे दोनों बच्चे पिता को याद कर भावुक हो उठते हैं।नीलम ही नहीं बल्कि कई अन्य लोग ऐसे भी है जिन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में अपनों को खो दिया। देशभर में दीवाली का त्यौहार हर्षों उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में अपनों के चले जाने के बाद कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो नम आंखों से उन्हें याद कर दिवाली मना रहे हैं।
दिल्ली के करोल बाग निवासी 63 वर्षीय नीलम शर्मा ने अप्रैल महीने में अपने पति को खो दिया। कोरोना का दूसरा टीकाकरण कराने के तुरन्त बाद ही उनके पति संक्रमित हो गए और करीब 15 दिन बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
उन्होंने बताया, उनके चले जाने के बाद बहुत गहरा सदमा लगा है, जिस अस्पताल में इलाज के लिए उन्हें भर्ती कराया उसमें ढंग का इलाज नहीं मिल सका। कुछ दिनों बाद अन्य अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती कराया लेकिन हालात बिगड़ती रही और दिल का दौरान पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
नीलम ने बताया कि, हाल ही में मेरे बेटे का जन्मदिन था और वो भी अपने पिता को याद करते करते रोने लगा।
नीलम ही नहीं जबकि फरीदाबाद निवासी अतुल सचदेवा भी यह दीवाली अपनों ने बिना ही मना रहे हैं। अतुल ने दूसरी लहर में अपने परिवार के 4 सदस्यों को खोया जिनमें चाचा , चाची और उनकी मां शामिल है। हालांकि सितंबर महीने में उनके पिता की भी मृत्यु हो गई।
अतुल ने बताया, दूसरी लहर में हर 5 दिन बाद एक एक कर अपने घर के तीन सदस्यों को खोया, इसके बाद मेरे फूफा और मेरे पिता पिछले महीने चल बसे। दीवाली का त्यौहार हमारे लिए सिर्फ एक यादों का सहारा है। इस वर्ष दीवाली का त्यौहार हमारे लिए उतना खुशियों भरा नहीं है जितना पिछले वर्ष था।
दीवाली का त्यौहार है तो शगुन के लिए घर में एक दिया जलाया हुआ है। मेरे दोनों बच्चों के लिए भी दीवाली इस बार बहुत गमगीन है।
कोरोना की दूसरी लहर में किसी ने किसी न अपनों को जरूर खोया है। किसी के माता पिता नहीं रहे तो किसी के दोस्त और अन्य परिवार के सदस्य लेकिन एक पिता और एक मां के लिए जरूर यह दीवाली बिना चहरे पर मुस्कान जैसी हैं।
कोरोना दूसरी लहर में दिल्ली निवासी प्रहलाद ने अपनी 5 महीने की बेटी को खो दिया। प्रहलाद ने बताया कि, मेरा 4 साल का बेटा आज भी मेरी बेटी को याद करता है और पूछता है की परी कब आएगी ? हमारी बेटी के चले जाने के बाद हमने अपना पुराना घर भी छोड़ दिया। मेरी पत्नी के लिए यह दीवाली मना पाना बहुत मुश्किल है।
उन्होंने आगे कहा कि अब सिर्फ बेटी को याद ही कर सकते हैं। इसके अलावा हमारे पास कुछ बचा ही नहीं।
दरअसल 12 मई को जीटीबी अस्पताल में कोविड ने दो मासूमों को लील लिया था। इनमें एक 5 महीने की परी भी थी। प्रहलाद ने अपनी बेटी का नाम परी इसलिए रखा था क्योंकि उनके लिए वह परी जैसी थी। लेकिन कोरोना की बीमारी ने एक झटके में परिवार का सब कुछ छीन लिया।
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