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जनजातियों से भावनात्मक रूप से जुड़े आम आदमी : अनुप्रिया पटेल

जनजातियों से भावनात्मक रूप से जुड़े आम आदमी : अनुप्रिया पटेल

Updated on: 16 Nov 2021, 01:00 AM

लखनऊ:

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत का आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रुप से जुड़ा, ऐसा भाव हर ह्दय में उत्पन्न होना चाहिये। केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी की उस सोच और भाव को प्रणाम करती हूं जिसमें उन्होंने जंगलों में रहने वाली जनजातीय समुदाय के आजादी पाने के लिये अंग्रेजों के साथ किये गये संघर्ष को 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का फैसला कर एक नयी पहचान दी है।

अनुप्रिया पटेल आज यहां आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रनायक, स्वाधीनता संग्राम सेनानी एवं क्रांतिदूत भगवान बिरसा मुंडा जी की 146 वी जयंती पर समारोह को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि इस दिवस के माध्यम से जनजातीय समुदाय को उनकी खोई हुई पहचान मिलेगी, जिसके वो लंबे समय से हकदार थे। हमारे जनजातीय समुदाय ने जिस प्रकार भारत की जमीन ,जंगल, सांस्कृति विरासत की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहूति दी है उसके बारे में आने वाली पीढ़ी को अवश्य जानना चाहिये।

केंद्रीय राज्य मंत्री पटेल ने कहा कि उतर प्रदेश के मिजार्पुर और सोनभद्र जिले में जहां पर बड़ी सख्या में कोल, चेरो, गोंड, पनिका, खरवार आदि जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं, वहां जनजातीय संग्रहालय के निर्माण की जो घोषणा सरकार ने की है उसके लिये धन्यवाद। उन्होंने कहा कि जनजातीय वनवासियों के कल्याण के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास जैसी तमाम विषयों को ध्यान में रखकर भारत सरकार और उतर प्रदेश की सरकार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है।

कहा कि भगवान बिरसा मुंडा से लेकर रानी दुर्गावती तक और न जाने कितने ऐसे नाम हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी। इन जनजातीय क्रांतिकारियों ने कैस अंग्रेजो से संघर्ष किया, निरंतर लड़े, जनजातीय समुदाय को एकजुट किया और अंग्रेजों के आगे सिर नहीं झुकाया। इसे लोग जाने इस उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया है। उन्होंने कहा कि आज तमाम राज्यों की सरकारों ने 200 से अधिक जनजातीय समुदाय में जन्म लेने वाले राष्ट नायकों, स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की सूची तैयार की है जो गुमनामी के अंधेरे में खो चुके थे। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय शिक्षा और स्वास्थ्य की ²ष्टि से पिछड़ा हुआ है। आज आवश्यकता है कि हम उन्हें अपने प्रयासों से समाज की प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा करें।

उन्होंने कहा कि मिजार्पुर और सोनभद्र के अलावा कई जिलों में वनवासी समाज के लोग रहते हैं. सरकार उनके समुचित विकास के लिए प्रयास कर रही है।

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