एंटीबायोटिक्स के उपयोग से रहता है गर्भपात का ख़तरा, रिसर्च में हुआ ख़ुलासा
शुरुआती प्रेगनेंसी के दौरान एंटीबायोटिक्स का उपयोग गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हो सकता है ख़तरनाक। कनाडा यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा
नई दिल्ली:
एक स्टडी के मुताबिक कॉमन प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों के दौरान एंटीबायोटिक्स का उपयोग गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ख़तरनाक हो सकता है। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से गर्भपात का ख़तरा बढ़ दोगुना बढ़ जाता है।
कनाडा की डी मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। इस रिसर्च में 8,702 केसों पर स्टडी की गई थी। चिकित्सीय रुप से की गई इस स्टडी में गर्भपात के समय की औसत गर्भावस्था 14 सप्ताह थी।
शोधकर्ताओं ने पाया कि शुरुआती प्रेग्नेंसी में गर्भपात में आम एंटीबायोटिक दवाओं जैसे कि मैक्रोलाइड, क्विनोलोन, टेट्रासायन, सल्फोमामाइड और मेट्रोनिडाजोल के सेवन से गर्भपात होने के ज़्यादा खतरे थे।
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शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में मूत्र पथ के संक्रमण का इलाज करने के लिए अक्सर इरिथ्रोमाइसिन और नाइट्रोफुरैंटोइन का उपयोग किया जाता था।
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रिसर्चर्स के मुताबिक यह जानकारी प्रेगनेंसी के दौरान इंफेक्शन के इलाज के लिए पॉलिसी मेकर्स द्वारा गाइडलाइन आदि बनाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है। यह रिपोर्ट कनाडा की कनाडियन मेडिकल एसोसिशन जनरल ने जारी की है।
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