असम में भारतीय सेना से रिटायर्ड हुए एक और शख्स को नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। सेना से 13 साल पहले रिटायर हुए महीरउद्दीन नाम के शख्स को ये नोटिस प्रवासी न्यायाधिकरण की तरफ से भेजा गया है।
गौरतलब है कि बीते महीने भी सेना से रिटायर होने के बाद एक अधिकारी को ये साबित करने के लिए नोटिस भेजा गया था कि वो अवैध बांग्लादेशी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक है।
साल 2004 में सेना में हवलदार पद से रिटायर्ड हुए महीरउद्दीन अहमद और उनकी पत्नी को बारपेटा जिले के प्रवासी न्यायाधिकरण की तरफ से नोटिस जारी किया गया है। इस नोटिस में कहा गया है कि वो मार्च 1971 के बाद बिना किसी वैध कागजात के बांग्लादेश से भारत आ गए थे।
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प्रवासी न्यायाधिकरण ने उनसे भारतीय नागरिकता का सबूत लेकर हाजिर होने का आदेश दिया है। नागरिकता को लेकर मिले नोटिस पर महीरउद्दीन ने कहा, ये बेहद दुखद और चौकाने वाला है कि सेना में इतने सालों तक सेवा देने के बाद भी मेरा अपमान किया जा रहा है।
महीरउद्दीन ने दावा किया उसका जन्म असम के बारपेटा में ही साल 1964 में हुआ था। इसके साथ महीरउद्दीन ने सवाल उठाए कि जब वो भारतीय नागरिक नहीं थे तो आखिरकार कैसे उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन कर ली।
बीते महीने भारतीय सेना में जेसीओ रहे मोहम्मद अजमल हक को भी ऐसा ही नोटिस जारी किया गया था जिसमें उन्हें साबित करने के लिए कहा गया था कि वो अवैध बांग्लादेशी प्रवासी नहीं हैं। वो सेना में तीस साल तक नौकरी भी कर चुके थे। इसे लेकर असम सहित देश की भी राजनीति गरमा गई थी।
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Source : News Nation Bureau