चेन्नई स्थित ज्वेलर कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड(केजीपीएल) द्वारा 14 बैंकों को 824 करोड़ रुपये का चूना लगाने का नया मामला सामने आया है। एसबीआई समेत अन्य बैंकों ने केजीपीएल को 824 करोड़ रुपये का ऋण दिया, जिसे बाद में गैर निष्पादित संपत्ति(एनपीए) की सूची में डाल दिया गया।
ऐसा माना जा रहा है कि केजीपीएल के निदेशक भूपेंद्र कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन देश छोड़कर भाग चुके हैं।
नीरव मोदी और गीतांजलि समूह के मेहुल चोकसी की तरह लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग(एलओयू) के जरिए 13,540 करोड़ रुपये का घोटाला करने के अलावा, केजीपीएल ने कथित रूप से 2008 की शुरुआत से लगभग 10 वर्षो की अवधि के दौरान फर्जी रिकार्ड और वित्तीय पत्रक के जरिए ऋण राशि जुटाई।
केजीपीएल को एसबीआई ने 240 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) ने 128 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ इंडिया ने 46 करोड़ रुपये, आईडीबीआई ने 49 करोड़ रुपये, सिंडीकेट बैंक ने 54 करोड़ रुपये, युनियन बैंक ने 53 करोड़ रुपये, यूको बैंक ने 45 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ने 22 करोड़ रुपये, कॉर्पोरेशन बैंक ने 23 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 32 करोड़ रुपये, तमिलनाडु मर्के टाइल बैंक ने 27 करोड़ रुपये, एचडीएफसी ने 27 करोड़ रुपये, आईसीआईसीआई बैंक ने 27 करोड़ रुपये और आंध्रा बैंक ने 32 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।
इस वर्ष जनवरी में केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) को की गई शिकायत में एसबीआई ने कहा कि बैंक ने अपने खाते की फोरेंसिक ऑडिट में पाया कि केजीपीएल और इसके निदेशकों भूपेश कुमार जैन और उसकी पत्नी नीता जैन ने बैंक के साथ धोखाधड़ी करने के इरादे से लेखा परीक्षकों के जरिए फर्जी और गलत प्रतिनिधित्व करने वाले रिकार्ड पेश किए।
एसबीआई मिड कॉरपोरेशन क्षेत्रीय कार्यालय के महाप्रबंधक जी.डी. चंद्रशेखर ने कहा, 'परिस्थिति, तथ्य और कंपनी के प्रबंध निदेशक की स्वीकारोक्ति से इसकी पुष्टि होती है कि ऋणदाताओं को बिना जानकारी दिए ही प्रतिभूति निकाल ली गई, इसलिए यह संरक्षित संपत्ति के आपराधिक दुरुपयोग और ऋणदाताओं के साथ धोखाधड़ी का मामला बनता है।'
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Source : News Nation Bureau