गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के रामलीला मैदान में शुक्रवार को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के साथ अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया।
सात साल बाद अन्ना के निशाने पर फिर केंद्र सरकार है, मगर इस बार सरकार बदली हुई है, मांगें सात साल पुरानी ही हैं।
अन्ना नई सरकार को चार साल परखने के बाद फिर सक्रिय हुए हैं। वह मोदी सरकार से लोकपाल की नियुक्ति, किसानों के लिए उचित फसल मूल्य और चुनाव सुधारों पर कार्य योजना चाहते हैं।
राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रामलीला मैदान में अनशन शुरू करने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, 'बीते चार साल में मैंने मोदी सरकार को 43 पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।'
बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि केंद्रीय कृषिमंत्री राधा मोहन सिंह व महाराष्ट्र के कुछ मंत्रियों ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की और कुछ आश्वासन दिए। मगर ऐसे आश्वासनों पर उन्हें भरोसा नहीं है।
अन्ना हजारे ने वर्ष 2011 में अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था, जिसने देश के जन-जन की भावनाओं को छुआ था। समूचा देश आंदोलित हो उठा था। वह आंदोलन कांग्रेस सरकार के खिलाफ खिलाफ था। यह आंदोलन भाजपा सरकार के खिलाफ है।
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दिल्ली के रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, 'केंद्र सरकार के मंत्री मुझसे मिले, लेकिन मैंने स्पष्ट कहा कि मैं आप पर विश्वास नहीं करता। अब तक आपने कितने वादे पूरे किए हैं? एक भी नहीं। इसलिए ठोस कार्ययोजना के साथ आइए, वरना मैं प्राण त्याग दूंगा, लेकिन अनशन खत्म नहीं करूंगा।'
उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान वह सरकार के साथ चर्चा करेंगे, लेकिन उनका 'सत्याग्रह' (बेमियादी अनशन) सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्ययोजना आने तक जारी रहेगा।
भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता ने कहा कि उनका आंदोलन 23 मार्च को शुरू हुआ है, इसी दिन ब्रिटिश शासन में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को फांसी दी गई थी।
उन्होंने कहा, "इन शहीदों ने अपना जीवन सिर्फ अंग्रेजों से अजादी के लिए नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन के लिए दांव पर लगाया था। लेकिन क्या हुआ? हमारे देश में अभी भी सही मायने में लोकतंत्र स्थापित नहीं हुआ है।"
अन्ना के अनशन का मकसद केंद्र में लोकपाल व राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति, नए चुनाव सुधार व देश में कृषि संकट को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए दबाव बनाना है।
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उन्होंने रामलीला मैदान में जुटे लोगों से कहा, "देश के किसान संकट में हैं, क्योंकि उन्हें फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा और सरकार उचित मूल्य तय करने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है।"
पुलिस के अनुसार, अन्ना के आंदोलन में करीब 6000 लोगों ने भाग लिया। इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश व असम से आए लोग शामिल थे। इसमें बड़ी संख्या में किसान भी शामिल रहे।
हजारे ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि वह आंदोलन में शामिल होने वाले किसानों के सामने मुश्किल पैदा कर रही है।
उन्होंने कहा, "हमारे आंदोलन को नाकमा करने के लिए उन्होंने ट्रेन व बसें रोक दी हैं, ताकि जो लोग हम से जुड़ना चाहते हैं, वे यहां नहीं पहुंच सकें। लेकिन यह सरकार हमें रोक नहीं पाएगी।"
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महाराष्ट्र के अहमदनगर के एक किसान पोपटराव साठे ने कहा कि पुलिस ने उनके इलाके के लोगों को भुसावल में गुरुवार की रात ट्रेन में सवार होने की अनुमति नहीं दी। कुछ किसानों ने कहा कि वह पुलिस से बचकर दिल्ली पहुंचे।
अन्ना हजारे ने कहा कि कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) को उचित मूल्य निर्धारण के लिए स्वायत्त बनाया जाना चाहिए। सीएसीपी 23 फसलों के लिए मूल्य तय करता है।
वर्तमान में केंद्र सरकार सीएसीपी का नियंत्रण करती है और राज्यों द्वारा सुझाए गए उचित मूल्य में 30-35 फीसदी की कटौती करती है।
अन्ना हजारे (80) ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार बदल जाती है, चेहरे बदल जाते हैं, लेकिन जो बदलना चाहिए वह नहीं बदलता। मैंने बहुत दुखी होकर फिर से आंदोलन शुरू किया है। मैं दिल के दौरे से मरने के बजाय देश के लिए मरना पसंद करूंगा।"
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Source : IANS