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शोपियां एनकाउंटर पर आया सेना प्रमुख एमएम नरवणे का बयान, बोले- पूरी निष्पक्षता से होगी जांच

जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में हुई एक मुठभेड़ के मामले में सेना को 'प्रथम दृष्टया' साक्ष्य मिले हैं कि उसके जवानों ने सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया है.

Updated on: 19 Sep 2020, 07:35 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में हुई एक मुठभेड़ के मामले में सेना को 'प्रथम दृष्टया' साक्ष्य मिले हैं कि उसके जवानों ने सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया है. इस संबंध में अब अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है. इस मसले पर भारतीय सेना के प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है कि पूरी निष्पक्षता के साथ एनकाउंटर की जांच की जाएगी और हम इसको तार्किक निष्कर्ष तक लेकर जाएंगे.

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने कहा है, 'अम्सीपोरा केस (शोपियां एनकाउंटर केस) की जांच पूरी निष्पक्षता के साथ की जाएगी और उन्हें उनके तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जाएगा. भारतीय सेना ऑपरेशन के दौरान प्रोफेशनल कंडक्ट के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.' उन्होंने कहा कि अशांत क्षेत्र में अभियानों के दौरान तय गाइडलाइन का उल्लंघन होने पर सेना जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है.

उल्लेखनीय है कि शोपियां एनकाउंटर को लेकर सवाल उठ रहे हैं. इस वर्ष जुलाई में यह मुठभेड़ हुई थी, जिसमें तीन लोग मारे गए थे. राजौरी जिले के इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार को सुरक्षा बलों ने 18 जुलाई 2020 को अम्सीपोरा गांव में एक ऑपरेशन के दौरान मार दिया था. सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि तीनों आतंकवादी थे, जिनसे मुठभेड़ के बाद हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया था.

लेकिन अब सेना को 'प्रथम दृष्टया' साक्ष्य मिले हैं कि उसके जवानों ने कश्मीर के शोपियां जिले में हुई एक मुठभेड़ में सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया है. श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध सेना ने सोशल मीडिया पर सामने आई उन रिपोर्ट के बाद जांच शुरू की, जिसमें दावा किया गया था कि जम्मू के राजौरी जिले के रहने वाले तीन व्यक्ति अमशीपुरा से लापता पाये गए थे. जांच को चार सप्ताह के भीतर ही पूरा कर लिया गया.

राजौरी निवासी तीनों व्यक्तियों के परिजन ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी, जोकि शोपियां में मजदूरी करते थे. सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि जांच से कुछ निश्चित साक्ष्य सामने आए जो कि दर्शाते हैं कि अभियान के दौरान अफस्पा, 1990 के तहत निहित शक्तियों का दुरुपयोग किया गया और उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वीकृत सेना प्रमुख की ओर से निधार्रित नियमों का उल्लंघन किया गया. इसके मुताबिक, परिणामस्वरूप, सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने प्रथम दृष्टया जवाबदेह पाए गए सैनिकों के खिलाफ सेना अधिनियम के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है. हालांकि, यह तत्काल स्पष्ट नहीं हो सका है कि सेना के कितने जवानों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.