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अमृत महोत्सव: लोगों से घरों में राष्ट्रध्वज लगाने की अपील, बनाए जा रहे स्पेशल तिरंगे

सरकार भी लाखों की संख्या में हर जिले में राष्ट्रध्वज की खरीद कर रही है ताकि इसे लोगों के बीच में बांटा जा सके

Updated on: 26 Jul 2022, 03:56 PM

highlights

  • 11 अगस्त से 16 अगस्त तक राष्ट्रध्वज लगाने की अपील
  • अमृत महोत्सव के लिए रंगों की सिलाई का काम जोरों पर
  • गांधी आश्रम में हो रहे तिरंगा निर्माण का जायजा लिया

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देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इसको लेकर अगस्त महीने में सभी लोगों से अपने घरों पर भी 11 अगस्त से 16 अगस्त तक राष्ट्रध्वज लगाने की अपील की गई है. सरकार भी लाखों की संख्या में हर जिले में राष्ट्रध्वज की खरीद कर रही है ताकि इसे लोगों के बीच में बांटा जा सके और आजादी के इस अमृत महोत्सव को यादगार बनाया जा सके. हालांकि बाजार में इस समय कई तरह के कपड़ों के बने झंडे उपलब्ध है लेकिन आज़ादी की लड़ाई के प्रतीक माने जाने वाले खादी के तिरंगे का अपना एक अलग महत्व है. इसी खादी के तिरंगे को पूरे प्रदेश में फहराने का काम पिछले 40 सालों से महराजगंज जिले के आनंदनगर कस्बे का गांधी आश्रम स्टोर कर रहा है.

ऐसे तो अपने देश में तिरंगे का निर्माण बहुत सारे शहरों में उसके प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, लेकिन आज हम महराजगंज जिले के आनंदनगर के गांधी आश्रम केंद्र की बात करेंगे जहां के अधिकतर लोग तिरंगा झंडा के निर्माण में लगे हुए हैं. उत्तर प्रदेश के लगभग सभी गांधी आश्रमों में यही से खादी के तिरंगे झंडे की सप्लाई की जाती है. इस गांधी आश्रम स्टोर के झंडों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ पूरे देश के कई शहरों में है. 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर यहां के तिरंगे झंडे की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इस समय गांधी आश्रम में तिरंगो के काम करने वाले कारीगरों के पास काफी काम है जिसके कारण यहां लोगों को अलग से कारीगरों को बुलाकर झंडे की सिलाई करवानी होती है, फरेंदा के लगभग अधिकतर परिवार तिरंगा बनाने के कारोबार से हीं जुड़े हुए हैं और तिरंगे बनाने के कारोबार से ही अधिकतर परिवारों के खर्च चलते हैं. 

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पिछले 40 सालों से चल रहा तिरंगा बनाने का सिलसिला

यहां तिरंगे बनाने का सिलसिला पिछले 40 सालों से चल रहा है, यहां तिरंगे को बहुत सम्मान के साथ बनाया जाता है तथा रखा जाता है, यहां हथकरघे से कताई किये गए कपड़े को सबसे पहले रंगा जाता है फिर उन्हें मानक के अनुसार तिरंगे का रूप दिया जाता है. एक मानक के अनुसार विशेष लंबाई चौड़ाई के अनुपात में बनने वाले तिरंगे की कीमत साइज के अनुसार तय की गई है. 1 मीटर 20 सेंटीमीटर लंबे और 80 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की कीमत 1200 रुपये होती है. 1 मीटर 35 सेंटीमीटर लंबे और 90 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की कीमत 800 रुपये है. वहीं 90 सेंटीमीटर लंबे और 60 सेंटीमीटर चौड़े झंडे की क़ीमत 480 रुपये है. 

अमृत महोत्सव को मनाने के लिए यहां पर स्पेशल तिरंगे बनाए जा रहे हैं जिनकी कीमत काफी कम रखी गई है. गांधी आश्रम के लोगों का कहना है कि मार्केट में आज भले ही दूसरे कपड़ों के तिरंगे मिल रहे हैं लेकिन मानक के हिसाब से जो तिरंगा फहराया जाना चाहिए वह गांधी आश्रम का खादी का तिरंगा ही हो सकता है. इस कार्यक्रम में आजादी की अमृत महोत्सव के लिए रंगों की सिलाई का काम जोरों पर है हालांकी अभी तक यहां किसी भी जिले से सरकारी खरीद का कोई भी आर्डर नहीं आया है, लेकिन जो लोग देश के आजादी में शादी का महत्व समझते हैं. वह यही के बने हुए तिरंगों को खरीद रहे हैं, इसके साथ ही दूसरे प्रदेशों से भी लोग यहां पर आकर तिरंगा खरीद रहे हैं. महराजगंज के गांधी आश्रम में हो रहे तिरंगा निर्माण का जायजा लिया.