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फिर बंगाल दौरे पर जाएंगे अमित शाह, 12 जनवरी को हावड़ा में रैली

गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से उत्साहित बीजेपी ने एक बार फिर अमित शाह के दौरे का प्लान तैयार किया है. बीजेपी से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जनवरी को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक रैली को संबोधित करेंगे. 

Updated on: 22 Dec 2020, 02:15 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल का किला फतह करने की बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है. गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से उत्साहित बीजेपी ने एक बार फिर अमित शाह के दौरे का प्लान तैयार किया है. बीजेपी से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जनवरी को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक रैली को संबोधित करेंगे. गृहमंत्री अमित शाह ने 19 और 20 दिसंबर को दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंचे थे. यहां उन्होंने पहला दिन एक प्रकार से स्वामी विवेकानंद और खुदीराम बोस के नाम रहा. दोनों महापुरुषों को बंगाली सपूत बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने जहां बंगाली अस्मिता की राजनीति को हवा दी. वहीं अगले दिन उन्होंने एक रोड शो भी निकाला. अमित शाह के दौरे से बीजेपी खासी उत्साहित नजर आ रही है. 

बंगाली अस्मिता का गुणगान
पश्चिम बंगाल के चुनावी हो चुके माहौल में ममता बनर्जी ने बंगाली अस्मिता कार्ड को तेजी से चला है. ममता बनर्जी भाजपा नेताओं को बाहरी बताकर एक माहौल बनाने में जुटी हैं, जिसके जवाब में भाजपा ने भी बंगाली महापुरुषों के गौरवगान के जरिए काउंटर शुरू कर दिया है. बंगाल के हर उन महापुरुषों को पार्टी याद करने में जुटी है, जिन्होंने बंगाल से राष्ट्रवाद की अलख जगाई. इससे पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने दौरे के दौरान ममता बनर्जी के बाहरी होने के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी बाहरी थे क्या?

किसान के घर लंच कर दिया संदेश
यही नहीं, गृहमंत्री अमित शाह ने किसान आंदोलन के बीच भी प्रतीकात्मक संदेश दिया. उन्होंने दौरे के पहले दिन मिदनापुर में किसान सनातन सिंह के घर खाना खाया. किसान आंदोलन के बीच देश के गृहमंत्री अमित शाह के एक किसान नेता के घर जमीन पर बैठकर खाना खाने के काफी मायने हैं. एक तरह से उन्होंने किसानों को लेकर सरकार और संगठन के शुभचिंतक होने का संदेश देने की कोशिश की. काबिलेगौर है कि मोदी सरकार के सितंबर में बनाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 26 नवंबर से हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं. अब तक हुई पांच दौर की वार्ता के बाद भी किसान आंदोलन का कोई हल नहीं निकल सका है.