अमित शाह पेश करेंगे नागरिकता विधेयक, कांग्रेस समेत विपक्ष के विरोध में होने से संग्राम तय
कांग्रेस समेत लगभग समग्र विपक्ष इसका विरोध करने के लिए लामबद्ध है. वहीं बीजेपी ने भाजपा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर मोदी 2.0 सरकार के आर-पार वाली लड़ाई के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं.
highlights
- संसद में सीएबी विधेयक को लेकर गर्मागर्म बहस और हंगामा तय.
- कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने विरोध की ताल ठोकी.
- गृह मंत्री दोपहर में विधेयक पेश करेंगे. इसके बाद इस पर चर्चा होगी.
New Delhi:
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से अनुच्छेद 370 के हटाने जैसा सियासी संग्राम सोमवार को लोकसभा (Loksabha) में तय है. गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज दोपहर नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश करेंगे. पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न (Religious Atrocities) के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी (Refugee) नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. कांग्रेस समेत लगभग समग्र विपक्ष इसका विरोध करने के लिए लामबद्ध है. वहीं बीजेपी ने भाजपा सांसदों के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर मोदी 2.0 सरकार के आर-पार वाली लड़ाई के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं. लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री दोपहर में विधेयक पेश करेंगे. इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा.
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बीजेपी का एजेंडा है पुराना, तो कांग्रेस भी आर-पार के मूड में
गौरतलब है कि भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश कर वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी. यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था. इसीलिए बीजेपी इस मसले पर धारा 370 की ही तरह आर-पार के मूड में है. इस बिल को पेश करने से पहले रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों के लिए सोमवार से बुधवार तक का तीन लाइन व्हिप जारी किया. पार्टी की ओर से जारी किए गए एक पत्र में कहा गया है कि सभी भाजपा सदस्य सोमवार से बुधवार तक लोकसभा में मौजूद रहेंगे. वहीं कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरूप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसके विरोध की ताल ठोक दी है. पार्टी रणनीतिकारों के साथ हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरी ताकत से संसद में इस बिल का विरोध करने की नीति पर मुहर लगा सियासी संग्राम का एक औऱ बिगुल फूंक दिया है.
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राज्यसभा में फंसेगी गणित, मित्र दल बनेंगे खेवनहार
लोकसभा में 303 सांसदों के साथ बहुमत रखने वाली बीजेपी के लिए निचले सदन में बिल को पारित कराना आसान है. हालांकि राज्यसभा में इसे बिल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे फ्लोर मैनेजमेंट रूपी गणित साधनी होगी. सरकार की अहम सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने बिल की सराहना करते हुए इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने की मांग की. इसके अलावा जेडीयू का भी रुख साफ नहीं है. हाल ही में बीजेपी को छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में सरकार के लिए इस बिल को राज्यसभा से पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. हालांकि घटक और बीजेडी जैसे मित्र दलों के समर्थन के बूते एनडीए सरकार ने बिल को पारित कराने की तैयारी कर ली है.
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पूर्वोत्तर में हो रहा जबर्दस्त विरोध, बंद और धरना-प्रदर्शन तेज
इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं. काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है. प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसंबर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है. गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल में सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न के शिकार होकर आने वाले गैर-इस्लामिक धर्मावलंबियों हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया है. इसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर इस तरह के भेदभाव की इजाजत नहीं देता.
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